शिवरात्रि से पहले सज उठी है उज्जैन नगरी, हर तरफ सुनाई दे रहा है ॐ नम: शिवाय

स्मृति आदित्य
- स्मृति
 
इन दिनों उज्जैन नगरी दुल्हन की तरह इठला रही है। आखिर बाबा महाकाल का शुभ विवाह जो है। हर दिन दुल्हे की तरह सज रहे हैं बाबा महाकालेश्वर... समूचे उज्जैन में शिवरात्रि से पूर्व शिवोत्सव मनाया जा रहा है। 

इन दिनों भक्तवत्सल्य भगवान आशुतोष महाकालेश्वर का विशेष श्रृंगार किया जा रहा है, उन्हें विविध प्रकार के फूलों से सजाया जा रहा है। यहां तक कि भक्तजन अपनी श्रद्धा का अर्पण इतने विविध रूपों में कर रहे हैं कि देखकर आश्चर्य होता है। 
 
कोई बिल्वपत्र की लंबी घनी माला चढ़ा रहा है तो कोई बेर,संतरा, केले, और दूसरे फलों की माला लेकर आ रहा है। कोई आंकड़ों के पत्तों पर चंदन से ॐ बना कर अर्पित कर रहा है तो  कोई बिल्वपत्र पर राम नाम लिख कर चढ़ा रहा है। 
 
आसपास की दुकानों पर शिव भजन की धुन लहरा रही है। दीवारें चमक रही है। गलियां महक रही हैं। ध्वजाएं सरसरा रही हैं । फूलों की आमद थम नहीं रही हैं और बिल्वपत्र की मांग चरम पर है। रंग-बिरंगी रोशनियां थिरक रही हैं। 

महाकाल क्षेत्र के आसपास के घरों के नाम भी उल्लेखनीय हैं। शिवालय, शिव निवास, महाकाल कृपा, शिवाशीष, शिव प्रसाद, महाकाल धाम, शिव आवास, शिव कुटी, शिव धाम, महाकाल भवन, शिवोहम... 
 
दूसरी तरफ हर दिन सुबह, दोपहर, शाम औढरदानी, प्रलयंकारी, दिगम्बर भगवान शिव का यह सुहाना सुसज्जित सुंदर स्वरूप देखने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इसे 'सेहरा' दर्शन कहा जाता है। 
 
विशेष महत्व : मृत्युंजय महाकाल की आराधना का मृत्यु शैया पर पड़े व्यक्ति को बचाने में विशेष महत्व है। खासकर तब जब व्यक्ति अकाल मृत्यु का शिकार होने वाला हो। इस हेतु एक विशेष जाप से भगवान महाकाल का लक्षार्चन अभिषेक किया जाता है- 
 
'ॐ ह्रीं जूं सः भूर्भुवः स्वः, 
ॐ त्र्यम्बकं स्यजा महे 
सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्‌। 
उर्व्वारूकमिव बंधनान्नमृत्योर्म्मुक्षीयमामृतात्‌ 
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ' 
 
इसी तरह सर्वव्याधि निवारण हेतु इस मंत्र का जाप किया जाता है। 
 
ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम 
जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः 
 
 प्रार्थना : शिवरात्रि से पहले श्री महाकालेश्वर से बस यही परम पुनीत प्रार्थना की जा रही है कि इस शिवरात्रि पर अखिल सृष्टि पर वे प्रसन्न होकर प्राणी मात्र का कल्याण करें - 
 
'कर-चरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा 
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम, 
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व, 
जय-जय करुणाब्धे, श्री महादेव शम्भो॥' 
 
अर्थात हाथों से, पैरों से, वाणी से, शरीर से, कर्म से, कर्णों से, नेत्रों से अथवा मन से भी हमने जो अपराध किए हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको है करुणासागर महादेव शम्भो! क्षमा कीजिए, एवं आपकी जय हो, जय हो।

वर्णन :अनेक प्राचीन पुराण महाकाल की महिमा से रचे हुए हैं क्योंकि वे कालखंड, काल सीमा, काल-विभाजन आदि के प्रथम उपदेशक व अधिष्ठाता हैं। स्कन्दपुराण के अवंती खंड में, शिव पुराण (ज्ञान संहिता अध्याय 38), वराह पुराण, रुद्रयामल तंत्र, शिव महापुराण की विद्येश्वर संहिता के तेइसवें अध्याय तथा रुद्रसंहिता के चौदहवें अध्याय में भगवान महाकाल की अर्चना, महिमा व विधान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख