फ़ाल्गुन में ही क्यों आती है महाशिवरात्रि, कैसे मनाएं महाशिवरात्रि का पर्व

पं. हेमन्त रिछारिया
महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का बहुत ही महत्त्वपूर्ण पर्व है, आज के दिन देशभर के मन्दिरों व घरों में भूतभावन चन्द्रमौलीश्वर भगवान शिव का अभिषेक कर उनकी आराधना की जाएगी। भगवान शिव के बारे में मान्यता है कि वे बड़े ही भोले व शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं। शिव; शक्ति के भी प्रतिनिधि देव है प्रलयकाल में उनकी संहारक शक्ति से विश्व अपने नवकलेवर की ओर अग्रसर होता है। भगवान शिव से ही हमें शक्तियों के समुचित व सार्थक प्रयोग की शिक्षा मिलती है।
 
"शिवरात्रि" प्रत्येक माह में आती है फ़िर फ़ाल्गुन मास में आने वाली शिवरात्रि को "महाशिवरात्रि" के रूप में मान्यता क्यों दी जाती है?

इस प्रश्न का समाधान हमें ईशानसंहिता में वर्णित "शिवलिंगतयोद्भूत" कोटिसूर्यसमप्रभ:" इस सूत्र में प्राप्त होता है जिसके अनुसार शिव के ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुई थी इसलिए फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आने वाली शिवरात्रि को "महाशिवरात्रि" की मान्यता प्रदान की गई है।
कैसे मनाएं महाशिवरात्रि-
 
आज के दिन साधक कुछ विशेष प्रयोग कर अपने जीवन में लाभ प्राप्त कर सकते हैं.... 
 
1. शिव जी का नर्मदाजल व गंगाजल से अभिषेक करें-
 
-जो साधक अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना रखते हैं वे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का नर्मदाजल या गंगाजल से अभिषेक करें।
 
- जो साधक अपने जीवन में यश की कामना रखते हैं वे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें।
 
- जो साधक अपने जीवन में धन एवं वैभव की कामना रखते हैं वे महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का गौदुग्ध से अभिषेक करें।
 
2. दरिद्रता नाश के लिए "दारिद्रय दहन स्तोत्र" से शिव जी अभिषेक करें-
 
-जो साधक आर्थिक संकट से ग्रस्त हों और अपने जीवन में धनागम एवं आर्थिक उन्नति चाहते हों अथवा कर्ज मुक्ति चाहते हों वे "महाशिवरात्रि" के दिन दारिद्रय-दहन स्तोत्र का पाठ करते हुए शिवजी का अभिषेक करें।

3. अपने जन्मनक्षत्रानुसार रुद्राक्ष धारण करें-
 
-जो साधक अपने जीवन में शिव कृपा की प्राप्ति चाहते हों वे "महाशिवरात्रि’ के दिन अपने जन्म नक्षत्रानुसार रुद्राक्ष को शिवलिंग पर अर्पित कर उसके अभिषेक पश्चात उस रुद्राक्ष को लाल धागे या स्वर्ण में धारण करें
 
जन्म-नक्षत्र-रुद्राक्ष
 
1. अश्विनी, मूल, मघा जन्मनक्षत्र वाले जातक नौमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
2. भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा जन्मनक्षत्र वाले जातक छ: मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
3. कृत्तिका, उत्तराषाढ़ा, उत्तराफाल्गुनी जन्मनक्षत्र वाले जातक ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
4. रोहिणी, हस्त, श्रवण जन्मनक्षत्र वाले जातक दोमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
5. धनिष्ठा, चित्रा, मृगशिरा जन्मनक्षत्र वाले जातक तीनमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
6. आर्द्रा, शतभिषा, स्वाति जन्मनक्षत्र वाले जातक आठ या पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
7. पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद जन्मनक्षत्र वाले जातक पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
8. पुष्य, अनुराधा, आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती जन्मनक्षत्र वाले जातक सातमुखी, पांचमुखी व दोमुखी रुद्राक्ष का लाकेट धारण करें।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Aaj Ka Rashifal: किसे मिलेगा आज भाग्य का साथ, पढ़ें अपना राशिफल (14 मई 2024)

14 मई 2024 : आपका जन्मदिन

14 मई 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी के दिन क्या करना चाहिए?

Budh in mesh : बुध का मेष राशि में गोचर 5 राशियों का सोने जैसा चमकेगा भाग्य

अगला लेख