महाशिवरात्रि 2025 के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सबसे शुभ मुहूर्त

WD Feature Desk
गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025 (16:54 IST)
Mahashivratri puja time: फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार 26 फरवरी 2025 बुधवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि पर यदि आप शिवलिंग पर एक लोटा जल अर्पित करना चाहते हैं तो इसके 2 सर्वश्रेष्ठ समय है। आओ जानते हैं कि वे कौनसे वे 2 समय है।ALSO READ: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा करें या शिवमूर्ति की?
 
1. अमृत काल और चौघड़िया:- अमृत काल सुबह 07:28 से 09:42 के बीच। 
 
2. प्रदोष काल:- शास्त्रानुसार प्रदोषकाल सूर्यास्त से 2 घड़ी (48 मिनट) तक रहता है। कुछ विद्वान मतांतर से इसे सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व व सूर्यास्त से 2 घड़ी पश्चात् तक भी मान्यता देते हैं। इसी के साथ संधिकाल प्रारंभ होता है।
 शाम में  06:17 से 06:42 के बीच। 
 
चार प्रहर की पूजा का समय:-
1. रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय- शाम 06:19 से रात्रि 09:26 बजे के बीच।
2. रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय- रात्रि 09:26 से मध्यरात्रि 12:34 के बीच। (27 फरवरी)
3. रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय- मध्यरात्रि 12:34 से मध्यरात्रि 03:41 के बीच। (27 फरवरी)
4. रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय- तड़के 03:41 से सुबह 06:48 के बीच। (27 फरवरी)
 
कैसे मनाएं महाशिवरात्रि:- 
महाशिवरात्रि के दिन बहुत से लोग उपवास रखते हैं। इस दिन फलाहार किया जाता है और अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है, अत: दूध, दही, शहद, गंगाजल और बेलपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करें। और उन्हें बेलपत्र, धतूरा, फूल आदि अर्पित किए जाते हैं।ALSO READ: महाशिवरात्रि पर जानिए शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग के 12 रहस्य
 
भोलेनाथ के पूजन हेतु आप महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग को एक चौकी पर स्थापित करें। उन्हें फूल, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें। 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
 
शिवरात्रि की कथा तथा शिव कथाएं पढ़ें या सुनें। बहुत से लोग इस रात जागकर भगवान शिव की भक्ति में लीन रहते हैं और भजन कीर्तन करते हैं। अत: रात्रि में जागरण करें और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें। महाशिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त निशिता काल में होता है। यह समय रात 11 बजे से 1 बजे के बीच होता है। दूध, दही, शहद, गंगाजल और बेलपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करें। अंत में आरती करें और भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की विनती करें।
 
वैसे तो महाशिवरात्रि से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इस व्रत की एक पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। एक अन्य कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने हलाहल विष पीकर संसार को बचाया था। 

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