महाशिवरात्रि : चार प्रहर की पूजा के चार महामंत्र कौन से हैं

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शिव सामान्य फूल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। बस भाव होना चाहिए। इस व्रत को जनसाधारण स्त्री-पुरुष , बच्चा, युवा और वृद्ध सभी करते है। धनवान हो या निर्धन, श्रद्धालु अपने सामर्थ्य के अनुसार इस दिन रुद्राभिषेक, यज्ञ और पूजन करते हैं। भाव से भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने का हर संभव प्रयास करते हैं।
महाशिवरात्रि का ये महाव्रत हमें प्रदोष निशीथ काल में ही करना चाहिए। जो व्यक्ति इस व्रत को पूर्ण विधि-विधान से करने में असमर्थ हो, उन्हें रात्रि के प्रारम्भ में तथा अर्धरात्रि में भगवान शिव का पूजन अवश्य करना चाहिए।
 
शिवपुराण के अनुसार व्रत करने वाले को महाशिवरात्रि के दिन प्रात:काल उठकर स्नान व नित्यकर्म से निवृत्त होकर ललाट पर भस्मका त्रिपुण्ड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाना चाहिए और शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन एवं भगवान शिव को प्रणाम करना चाहिए। तत्पश्चात उसे श्रद्धापूर्वक महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करना चाहिए।
महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके दूध से स्नान व ॐ ओम हीं ईशानाय नम: का जाप करना चाहिए। 

द्वितीय प्रहर में दधि स्नान करके ॐ ओम हीं अधोराय नम: का जाप व 
तृतीय प्रहर में घृत स्नान एवं मंत्र ॐ ओम हीं वामदेवाय नम: तथा 
चतुर्थ प्रहर में मधु स्नान एवं ॐ ओम हीं सद्योजाताय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
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