शिव चालीसा पढ़ने के शास्त्रोक्त नियम

WD Feature Desk
सोमवार, 24 फ़रवरी 2025 (15:35 IST)
shiv chalisa path: शिव चालीसा एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली पाठ है। यदि आप इस चालीसा का निरंतर 40 बार पाठ करते हैं तो वह सिद्ध हो जाता है। इसी तरह किसी भी खास मनोकामना और समस्या के अनुसार चालीसा की पंक्ति याद कर 40 बार पाठ करने से वह मनुष्य के जीवन में आश्चर्यजनक रूप से मदद करता है। लेकिन आपको बता दें कि शिव चालीसा पाठ करने के भी कुछ विशेष नियम धार्मिक ग्रंथों में बताए गए हैं, यदि आप उन नियमों के अनुसार इसका पाठ करते हैं तो निश्चित ही आपको लाभ प्राप्त होगा।ALSO READ: महाशिवरात्रि पर भेजें पवित्रता और भक्ति से भरपूर ये शुभकामना संदेश, कोट्स और मैसेज
 
आइए यहां जानते हैं शिव चालीसा पढ़ने के शास्त्रोक्त नियम क्या हैं?
 
शिव चालीसा पाठ के नियम : Shiv Chalisa Path Niyam in Hindi
 
• शिव चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
 
• शिव चालीसा का पाठ किसी शांत और पवित्र स्थान पर करना चाहिए।
 
• आप मंदिर, पूजा घर या किसी एकांत स्थान पर इसका पाठ कर सकते हैं।
 
• शिव चालीसा का पाठ करने का सबसे अच्छा समय सूर्योदय से पहले यानि ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है।
 
• पाठ करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
 
• शिव चालीसा पाठ करने वाले दिन या प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
 
• अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
 
• एक थाली में पूजन में सफेद चंदन, अक्षत, कलावा, धूप-दीप, पीले पुष्प की माला, सफेद आक के पुष्प और प्रसाद के लिए शुद्ध मिश्री रखें।
 
• पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें।
 
• शिव चालीसा का तीन, पांच, ग्यारह या फिर चालीस बार पाठ करें।
 
• शिव चालीसा का पाठ बोल-बोलकर करें, यह पाठ जितने लोगों को यह सुनाई देगा उनको भी लाभ होगा।
 
• शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें और भगवान शिव को प्रसन्न करें।
 
• पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखें।
 
• शिव चालीसा का गलत उच्चारण से बचें।
 
• पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
 
• थोड़ा सा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में खाएं, बच्चों में भी बांट दें।
 
• इसके अलावा, आप सूर्यास्त के बाद या प्रदोष काल में भी इसका पाठ कर सकते हैं।
 
• शिव चालीसा का पाठ करते समय तामसिक भोजन और मदिरा से दूर रहें।
 
• पाठ करते समय किसी भी प्रकार के बुरे विचारों से बचें।ALSO READ: शिव का धाम कैलाश पर्वत और मानसरोवर ही क्यों है, जानिए रहस्य
 
संपूर्ण शिव चालीसा पाठ
।।दोहा।।
 
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
 
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लव निमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। विघ्न विनाशन मंगल कारण ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तधाम शिवपुर में पावे॥

कहत अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
 
॥दोहा॥
नित्य नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 

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