जानिए शिव के दो स्वरूप

Webdunia
- आचार्य गोविन्द बल्लभ जोशी



 

शिव के दो स्वरूप :-

भगवान शिव के दो स्वरूप हैं। एक निष्कल और दूसरा सकल। निष्कल रूप का अर्थ है निर्गुण-निराकार शुद्ध चेतन ब्रह्मभाव जो लिंग रूप है तथा सकल का अर्थ सगुण साकार विशिष्ट चेतन महेश्वर रूप जो मूर्तिमय है। जैसे वाच्य और वाचक में भेद नहीं होता, वैसे ही लिंग और लिंगी में भेद नहीं है।

शिव पूजन में शिवलिंग तथा शिव मूर्ति दोनों का पूजन श्रेष्ठ माना गया है, तो भी मूर्ति की अपेक्षा शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व है। कारण लिंग अमूर्त ब्रह्म चेतन का प्रतीक है तथा समष्टि स्वरूप है जो अव्यक्त चैतन्यसत्ता तथा आनंदस्वरूप है तथा मूर्ति व्यक्त-व्यष्टि एवं सावयव शक्ति है।

इसलिए शिवलिंग की प्रतिष्ठा और प्रणव से होती है। मूर्ति की प्रतिष्ठा एवं पूजा 'नमः शिवाय' पंचाक्षर मंत्र से करने का विधान है।

FILE


प्रणव के दो स्वरूप :-

एक सूक्ष्म प्रणव और दूसरा स्थूल प्रणव। अक्षर रूप में 'ओम्‌' सूक्ष्म प्रणव है और पांच अक्षर वाला 'नमः शिवाय' मंत्र स्थूल प्रणव है। सूक्ष्म प्रणव के भी हृस्व-दीर्घ यह दो भेद हैं।

प्रणव में तीन वर्ण हैं उनमें 'प्र' का अर्थ है प्रकृति से उत्पन्न महाजाल संसार रूप महासागर और 'नव' का अर्थ है इस संसार रूपी महासागर से तरने के लिए नूतन 'नाव'। इसीलिए ओंकार को प्रणव कहा है। प्रणव का दूसरा अर्थ है - 'प्र' प्रपंच 'न' नहीं है 'व' आपके लिए।

इस प्रकार जप करने वाले साधकों को ज्ञान देकर मोक्ष पद में ले जाता है। इससे विवेकी पुरुष ओंकार को प्रणव कहते हैं।

दूसरा भाव यह है कि यह आप सब उपासक योगियों को बलपूर्वक मोक्ष में पहुंचा देगा। इसलिए भी ऋषि-मुनि इसे प्रणव कहते हैं अथवा जप करने वाले उपासक-साधकों को उनके पाप का नाश करके दिव्य ज्ञान देता है इसलिए प्रणव है।

माया रहित भगवान महेश्वर को ही 'नव' यानी 'नूतन' कहा है, वह शिव परमात्मा नव-शुद्ध स्वरूप है। प्रणव साधक को नव-शिवरूप बना देता है, इसलिए ज्ञानी जन इसे प्रणव नाम से पुकारते हैं ।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

हनुमानजी ने चुकाया अपनी माता अंजनी का कर्ज, कथा जानकर हैरान रह जाएंगे

महाकुंभ में स्नान के साथ करें इन पवित्र मंत्रों का जाप, मिलेगा पुण्य का पूरा लाभ

किसके पास होता है किसी भी अखाड़े के महामंडलेश्वर को हटाने का अधिकार, जानिए अखाड़ों के नियम

gupt navratri: गुप्त नवरात्रि की 3 देवियों की पूजा से मिलेगा खास आशीर्वाद

नर्मदा जयंती कब है, जानिए माता की पूजा का शुभ मुहूर्त और नदी का महत्व

सभी देखें

धर्म संसार

गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन करें मां छिन्नमस्ता का पूजन, जानें कथा, महत्व और पूजा विधि

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए प्रसन्नताभरा रहेगा दिन, पढ़ें 03 फरवरी 2025 का दैनिक राशिफल

03 फरवरी 2025 : आपका जन्मदिन

03 फरवरी 2025, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: 03 से 09 फरवरी में किन राशियों का होगा भाग्योदय, पढ़ें पहले सप्ताह का साप्ताहिक राशिफल