दक्षिण भारत की काशी के नाम से प्रसिद्ध है आंध्रप्रदेश का श्रीकालहस्ती मंदिर, होती है शिव के कर्पूर स्वरुप की पूजा

WD Feature Desk
बुधवार, 12 फ़रवरी 2025 (15:49 IST)
Kashi of South India: दक्षिण भारत में कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें से एक है श्रीकालहस्ती मंदिर। यह मंदिर आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है और इसे दक्षिण भारत की काशी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका इतिहास बहुत ही रोचक है। महाशिवरात्रि के मौके पर यहाँ का दर्शन विशेष फलदायी माना जाता है।

श्रीकालहस्ती मंदिर का इतिहास
श्रीकालहस्ती मंदिर का निर्माण पल्लव वंश के शासकों ने 5वीं शताब्दी में करवाया था। श्रीकालहस्ती मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां कई वर्षों तक माता पार्वती ने तपस्या की थी। एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती को श्राप दिया था। इसलिए माता पार्वती ने कई वर्षों तक यहां तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया था।

एक किवदंती के अनुसार इस मंदिर का नाम तीन शब्दों से मिलकर बना है - श्री (मकड़ी), काल (सांप) और हस्ती (हाथी)। पौराणिक कथा के अनुसार, इन तीनों जीवों ने यहाँ पर भगवान शिव की तपस्या की थी और मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए इस जगह का नाम श्रीकालहस्ती पड़ा।
श्रीकालहस्ती मंदिर के बारे में बोला जाता है कि यह दक्षिण के पंचतत्व लिंगों में से वायु तत्व का शिवलिंग है। इसलिए यहां भगवान शिव को कर्पूर वायु लिंगम के रूप में भी पूजा जाता है। यह मंदिर राहु-केतु दोष निवारण के लिए भी प्रसिद्ध है। खास बात यह है कि यह मंदिर सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के समय भी खुला रहता है। 

 
मंदिर की वास्तुकला
श्रीकालहस्ती मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली में बनी हुई है। मंदिर में एक विशाल गोपुरम है, जो सात मंजिला है और बहुत ही सुंदर दिखता है। मंदिर के अंदर कई मंडप और गर्भगृह हैं। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियाँ उकेरी गई हैं। ALSO READ: हर 12 साल में भोलेनाथ के इस मंदिर में गिरती है आकाशीय बिजली, टुकड़े-टुकड़े होकर फिर जुड़ जाता है शिवलिंग

महाशिवरात्रि में श्रीकालहस्ती मंदिर
महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रीकालहस्ती मंदिर में विशेष आयोजन किए जाते हैं। इस दिन यहाँ पर भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन यहाँ का दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

कैसे पहुंचे श्रीकालहस्ती मंदिर
श्रीकालहस्ती मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश की राजधानी विशाखापट्टनम से करीब 720 किमी है। इसके अलावा, तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से महज 116 किमी दूर स्थित है। यह तिरुपति से सिर्फ 41 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन तिरुपति है। तिरुपति से आप बस या टैक्सी के द्वारा श्रीकालहस्ती पहुँच सकते हैं।

इस मंदिर में सुबह 6 बजे से लेकर शाम 5 बजे के बीच में दर्शन कर सकते हैं। मंदिर में राहु केतु पूजा आदि विदेश पूजा के लिए अलग से चार्ज लगता है। महाशिवरात्रि के मौके यहां हजारों श्रद्धालु अपनी-अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं। सर्दियों के समय में यहां का मौसम बहुत अनुकूल होता है।
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