कैसे पाएं भोलेशंकर की कृपा

निर्विकारी पर होती है शंकर की कृपा

Webdunia
ND

महाशिवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि
पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान् शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में में अवतरण हुआ था।

मानस रामायण की रचना भोलेशंकर ने की है। भोलेशंकर राम नाम के रसिक हैं। शमशान घाट एवं वहां जलने वाले मुर्दे की भस्म को शरीर में धारण करने वाले भोलेशंकर पूर्ण निर्विकारी हैं। उन्हें विकारी मनुष्य पसंद नहीं हैं।

जब मनुष्य की मौत हो जाती है और मुर्दे को जलाया जाता है तब जलने के बाद मुर्दे की भस्म में किसी भी प्रकार का विकार नहीं रहता। मनुष्य के सारे अहंकार तन के साथ जलकर भस्म हो जाते हैं। तब भोलेनाथ उस र्निविकारी भस्म को अपने तन में लगाते हैं।

सती कथा के अनुसार- जब सती ने भोले शिव के मना करने पर मन में विकार उत्पन्न होने पर श्रीराम के ईश्वर होने की परीक्षा ली और सीता को वेश धारण किया, तब शिव ने सती का त्याग कर दिया।

इसके बाद जब सती ने राजा हिमालय के घर जन्म लेकर पार्वती के रूप में शिव की निर्विकारी रूप से पूजा की। तब शिवजी ने उन्हें स्वीकार कर लिया। इसका तात्पर्य यह है कि शिवकृपा निर्विकारी को ही प्राप्त होती है।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

वर्ष का सबसे लंबा दिन 21 जून को, जानें कारण और महत्व

26 जून से प्रारंभ होगी गुप्त नवरात्रि, जानें घट स्थापना के मुहूर्त, कैसे करें देवी आराधना और लग्नानुसार फल

पंचांग में पहले से ही लिखी थी प्लेन क्रैश की भविष्यवाणी, वायरल पंचांग में और क्या लिखा है?

योगिनी एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, क्या है इसका महत्व?

पुरी में क्यों होती है भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति की पूजा, जानिए ये गूढ़ रहस्य

सभी देखें

धर्म संसार

21 जून को साल के सबसे लंबे दिन पर करें ये 8 विशेष उपाय

महाभारत काल और दूसरे विश्‍व युद्ध के जैसे ग्रह संयोग, कैलेंडर भी कर रहा है मैच, क्या जीत जाएंगे हम ये जंग?

Amarnath Yatra 2025: हेलिकॉप्टर से नहीं जा सकेंगे अमरनाथ, सुरक्षा चाक चौबंद, उमर अब्दुल्ला नाराज

Aaj Ka Rashifal: आज कारोबार के लिए बेहतर होगा दिन, पढ़ें 18 जून का दैनिक राशिफल

18 जून 2025 : आपका जन्मदिन