सुखी रहना है तो खुशी से करें पितरों को बिदा

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- महेन्द्रसिंह पँवार

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सर्वपितृ मोक्ष अमावास्या अबकी बार सोमवार 29 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है जो अमावस्या के दिन गुजर जाते हैं और उनका भी जिनके गुजरने की तिथि मालूम नहीं रहती। इस दिन प्रात: वे सभी पकवान बनाएँ जो उन्हें पसंद थे और विधिपूर्वक स्नानादि निवृत्त होकर धूप व दीप प्रज्वलित कर भोग लगाएँ। गाय, श्वान, कौओं का हिस्सा हरे पत्ते पर रखकर दें।

जो लोग व्रत रखते हैं, वे सूँघकर अपनी थाली गाय को खिलाएँ। शाम के वक्त सभी अपने-अपने निवास पर जाते हैं। इसी प्रकार पितरों को भी अपने निवास स्थान भेजना चाहिए। अत: शाम को भी थोड़ा-सा ताजा भोजन बनाएँ और घर की मुख्य देहली पर विधिपूर्वक भोजन की अग्यारी दें और प्रार्थना करें कि हे पितर देवता!

हमने जाने-अनजाने में जो भी भूल की हो उसे क्षमा कर देना। हमें ऐसा आशीष देना कि हम सुख-शांतिपूर्वक अपना जीवन निर्वाह कर सकें व पितृदोष शांत होकर प्रसन्न हों और जल चढ़ाकर फिर कहें कि हे पितृदेवता अपने लोक को पधारें।
  सर्वपितृ मोक्ष अमावास्या अबकी बार सोमवार 29 सितंबर को पड़ रही है। इस दिन उनका श्राद्ध किया जाता है जो अमावस्या के दिन गुजर जाते हैं और उनका भी जिनके गुजरने की तिथि मालूम नहीं रहती। इस दिन प्रात: वे सभी पकवान बनाएँ जो उन्हें पसंद थे।      


प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि अपने माता-पिता, दादा-दादी को जब तक जीवित हैं उन्हें किसी प्रकार का कष्ट न दें फिर चाहे हम कितने ही अभावों में हों लेकिन उनको कष्ट देना हमारे जीवन में बाधाओं को निमंत्रण देना है। जीते-जी उनकी आत्मा हमें दुआ ही देना चाहेगी।

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