सुरीले भी होते हैं पहाड़ी कौए!

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कौआ! और सुर में! सभी कौए कर्कश नहीं होते। हिमालय क्षेत्र में पाया जाने वाला पहाड़ी कौआ बेहद सुरीला होता है। सुबह नींद से जागते ही बिस्तर पर चाय और अखबार मिल जाएँ, पास के किसी। पेड़ पर से कोयल की सुरीली तान सुनाई दे जाए तो समझिए वाकई सुबह सुहानी है।

अब जरा कल्पना कीजिए, अभी आप बिस्तर पर ही हैं, आँखें ठीक से खोल भी नहीं पाए हैं और कौए ने बेहद शास्त्रीय अंदाज में सुर छेड़ने की कोशिश की, पर नाकाम रहा। लेकिन इस काँव-काँव से आपका मूड चौपट करने में जरूर कामयाब रहा। ठहरिए जनाब, ऐसी भी क्या नाराजी! हम भी सुर में गा सकते हैं। कौआ! और सुर में! जी हाँ, सभी कौए कर्कश नहीं होते। हिमालय क्षेत्र में पाया जाने वाला पहाड़ी कौआ बेहद सुरीला होता है।

कश्मीर घाटी के लोग सालभर इसके संगीतमय स्वर का आनंद लेते हैं। वैसे कौए की कई प्रजातियाँ हमारे देश में पाई जाती हैं। आम तौर पर कौए की 4 प्रजातियाँ हैं। इनमें डोम प्रजाति के कौओं (वैज्ञानिक नाम- रेवन कोर्वस) की आवाज बेहद कर्कश होती है।

दूसरी प्रजाति जंगली कौओं (कोर्वस मेक्रोहिंकस) की है, जिसे बोलचाल की भाषा में काला कौआ कहते हैं। तीसरी प्रजाति भारतीय घरेलू कौओं (कोर्वस स्प्लेनडंस) की है, जो बेधड़क घरों में भी प्रवेश कर लेते हैं। इनकी भी कई जातियाँ हमारे देश में पाई जाती हैं। चौथी प्रजाति पहाड़ी कौआ (कोर्वस मोनेड्यूला) अपनी सुरीली आवाज से सभी को लुभाता है। इन्हें लोग पालते भी हैं। एक अन्य पक्षी 'जाग' भी कौए जैसा दिखाई देता है और सुर में गाता है।

मामूली अंतरों के बावजूद आखिर ये सब हैं तो कौए ही, इसलिए इनमें प्रजातिगत समानताएं हैं। बेहद ढीठ, चौकन्ना, चालाक और मक्कार यह पक्षी चोरी करने में भी उस्ताद है, लेकिन इतने चौकन्ने कौए को भी आखिर कोयल मूर्ख बना ही देती है। कौए के घोंसले में चतुर कोयल अंडे देती है, कौआ तभी जान पाता है, जब कोयल का बच्चा आलाप लेता है। काला-कलूटा कौआ सर्वभक्षी होता है।

यदि सूअर के लिए नालियाँ जन्नत हैं तो कौए का स्वर्ग है- कूड़ा-करकट। झुँड में रहने वाली इस प्रजाति में जोड़ा बनाने की प्रवृत्ति भी पाई जाती है। पेड़ की दुफँकी शाखा पर बनाए घोंसले में मादा चार या पाँच अंडे देती है। यदि किसी मृत शरीर के आस-पास गिद्ध मंडराते दिखें तो उनमें 10-12 डोम कौए भी होंगे और अब तो कौए ही राज करेंगे (गिद्ध जो घटते जा रहे हैं)।

एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि अब कौए भी कम नजर आते हैं। वैसे कौए मानव के मित्र ही हैं, जो एक ईमानदार सफाई कर्मचारी की अपनी जिम्मेदारी निभाते चले आ रहे हैं। हाँ एक और बात, कई बार आसमान की ऊँचाई में कौओं को भी कबूतर की तरह गिरहबाजी करते देखा जा सकता है।

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