Shradh Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में चतुर्थी तिथि का श्राद्ध कैसे करें, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां

WD Feature Desk
बुधवार, 10 सितम्बर 2025 (11:45 IST)
Pitru Shradh Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में चतुर्थी तिथि का श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए किया जाता है, जिनका निधन किसी भी माह की चतुर्थी तिथि को हुआ हो, चाहे वह कृष्ण पक्ष की हो या शुक्ल पक्ष की। चतुर्थी श्राद्ध को 'चौथ श्राद्ध' के नाम से भी जाना जाता है।ALSO READ: Jivitputrika vrat 2025: जीवित्पुत्रिका जितिया व्रत का महत्व और पौराणिक कथा
 
श्राद्ध की विधि और कुतुप काल का मुहूर्त : इस दिन श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप, रौहिण और अपराह्न काल को सबसे शुभ माना जाता है, जिसमें कुतुप काल सबसे महत्वपूर्ण है। कुतुप काल में दोपहर 11:53 से 12:43 तक का समय माना जाता है, लेकिन चतुर्थी तिथि का समय निम्नानुसार रहेगा और इस समय किया गया श्राद्ध सबसे अधिक फलदायी माना जाता है, क्योंकि यह सीधे पितरों तक पहुंचता है।
 
श्राद्ध पक्ष 2025 चतुर्थी तिथि श्राद्ध का शुभ मुहूर्त:
चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ- 10 सितबंर 2025 को 03:37 पी एम बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त - 11 सितबंर 2025 को 12:45 पी एम पर। 
 
कुतुप मुहूर्त- दोपहर 12:11 से 01:00 बजे तक।
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट्स
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 01:00 से 01:49 तक। 
अवधि - 00 घंटे 49 मिनट्स
अपराह्न काल- दोपहर 01:49 से 04:17 तक।
अवधि - 02 घंटे 28 मिनट्स
 
श्राद्ध करने की विधि:
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर की अच्छी तरह से सफाई करें।
2. घर में गंगाजल और गौमूत्र का छिड़काव करें।
3. पितरों का ध्यान करते हुए उनका श्राद्ध करने का संकल्प लें।
4. श्राद्ध के लिए सात्विक भोजन (खीर, पूरी, सब्जी, दाल आदि) तैयार करें।
5. भोजन बनाते समय मन को शांत रखें और मौन रहें।
6. कुतुप काल में, पितरों को तर्पण यानी जल अर्पित करें। तर्पण के लिए कुश की अंगूठी दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में पहनें।
7. जल, काले तिल, जौ और सफेद फूल मिलाकर जल दें। जल देते समय पितरों का नाम और गोत्र का उच्चारण करें।
8. पिंडदान करें, जिसमें चावल, जौ और काले तिल से बने पिंडों को पितरों को अर्पित किया जाता है।
9. इसके बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं। उन्हें दक्षिणा और सामर्थ्य अनुसार दान भी दें।
10. ब्राह्मण भोजन के बाद ही परिवार के लोग भोजन करें।
 
चतुर्थी श्राद्ध में बरती जाने वाली सावधानियां:
 
• मांस-मदिरा का सेवन न करें: श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों तक मांसाहारी भोजन, लहसुन और प्याज का सेवन पूरी तरह वर्जित होता है।
 
• शुभ कार्यों से बचें: इन दिनों में विवाह, मुंडन या गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य करने से बचना चाहिए।
 
• दूसरों की भूमि पर श्राद्ध न करें: श्राद्ध कर्म अपनी निजी भूमि या किसी तीर्थ स्थान पर ही करना चाहिए। यदि किसी और की जगह पर श्राद्ध करना पड़े, तो भूस्वामी को किराया या दक्षिणा अवश्य दें।
 
• लोहे के बर्तनों का उपयोग न करें: श्राद्ध के भोजन के लिए केवल कांसे या चांदी के बर्तनों का उपयोग करें। मिट्टी के बर्तनों का उपयोग भी कर सकते हैं, लेकिन लोहे के बर्तनों से बचें।ALSO READ: Shradh Paksha 2025: प्रमुख श्राद्ध तिथियां, इन तिथियों पर अवश्य करना चाहिए श्राद्ध
 
• अन्न का अपमान न करें: भोजन बनाते समय या खाते समय उसकी न तो प्रशंसा करें और न ही बुराई करें।
 
• जूठा भोजन न बनाएं: श्राद्ध के लिए भोजन बनाने से पहले उसे जूठा न करें।
 
• तुलसी का महत्व: श्राद्ध के दौरान तुलसी की जड़ पर जल अर्पित करना और तुलसी के पौधे के पास दीया जलाना शुभ माना जाता है।
 
• गंगाजल का उपयोग: गंगाजल से तर्पण करने से पिंडदान और तर्पण की आवश्यकता नहीं रहती।
 
• घर की सफाई: श्राद्ध कर्म से पहले घर को अच्छी तरह साफ-सुथरा रखें। मुख्य द्वार पर कूड़ा-कचरा जमा न होने दें और नियमित रूप से गंगाजल का छिड़काव करें।
 
श्राद्ध का उद्देश्य पितरों को श्रद्धापूर्वक याद करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए कर्म करना है। विधिपूर्वक और श्रद्धा के साथ किया गया श्राद्ध आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
 
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