श्राद्ध में सबसे ज्यादा खास होता है कुतप काल

पं. हेमन्त रिछारिया
श्राद्ध के 16 दिनों में सबसे ज्यादा सुना जाता है कि कुतप काल में श्राद्ध करें, आखिर यह कुतप काल है क्या? आइए जानें.... 

पितरों के निमित्त किए गए श्राद्ध में प्रत्येक वस्तु एवं समय का खास महत्त्व होता है। पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध में काक (कौआ), गौ, श्वान, पिपीलिका व देवस्वरूप ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है।

पितरों को भोजन अर्पित करने के लिए अग्नि में भोज्य पदार्थों की आहुति दी जाती है जिसे धूप डालना कहते हैं। इस धूप का एक विशेष समय निर्धारित है जिसे कुतप-काल कहा जाता है। कुतप-काल में किया गया तर्पण एवं दी गई धूप अक्षय फ़लदायी होती है। कुतप-काल दिन के 11:30 बजे से 12:30 के मध्य का समय होता है। शास्त्रानुसार कुतप-काल में श्राद्ध विधि करने का विशेष महत्त्व है।

ALSO READ: क्या आप जानते हैं श्राद्ध के 12 प्रकार
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

लाल किताब के अनुसार मंगल दोष से बचने के 10 अचूक उपाय, फिर निश्चिंत होकर करें विवाह

क्या आप जानते हैं चातुर्मास के समय क्यों योग निद्रा में चले जाते हैं भगवान विष्णु, नहीं होते मांगलिक कार्य

क्या फिर कहर बरपाएगा कोरोना, क्या है जापानी बाबा वेंगा की भविष्यवाणी

शीघ्र विवाह बंधन में बंधना चाहते हैं आजमाएं ये 5 प्रभावी उपाय

मांगलिक दोष शुभ या अशुभ, जानें इसके फायदे और ज्योतिषीय उपाय

सभी देखें

धर्म संसार

16 जून 2025 : आपका जन्मदिन

16 जून 2025, सोमवार के शुभ मुहूर्त

मुहम्मद बिन क़ासिम से इस तरह लड़े थे वीर सिंधु सम्राट दाहिर सेन, लेकिन हुआ धोखा

Saptahik Muhurat: नए सप्ताह के मंगलमयी मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग 16 से 22 जून

Aaj Ka Rashifal: आज किसी खास व्यक्ति से होगी मुलाकात, चमकेंगे सितारे, पढ़ें 15 जून का राशिफल

अगला लेख