सप्तमी के श्राद्ध की क्या है विशेषता, जानिए किसके लिए कहते हैं?

Webdunia
गुरुवार, 15 सितम्बर 2022 (11:57 IST)
16 श्राद्ध प्रारंभ हो गए हैं। इस बार सप्तमी का श्राद्ध की तिथि को लेकर मतभेद है। कुछ लोग 16 सितंबर और कुछ 17 सितंबर को श्राद्ध करने का कह रहे हैं। आओ जानते हैं सप्तभी श्राद्ध की तिथि प्रारंभ और समाप्ति का समय और क्या करते हैं इस दिन श्राद्ध में यह भी जानें।
 
षष्ठी तिथि प्रारंभ और समापन टाइम | Shradh 2022 start date and end date : षष्ठी तिथि 15 सितंबर को सुबह 11 बजे प्रारंभ होगी और 16 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 19 मिनट को समाप्त होगी। अधिकतर जगह पर 15 तारीख को ही षष्ठी का श्राद्ध मनाया जाएगा।
 
सप्तमी तिथि श्राद्ध कब है 2022 | When is Saptami Tithi Shradh date and time : सप्तमी प्रारंभ 16 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 19 मिनट से और समापन 17 सितंबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 14 पर।
 
उपरोक्त के अनुसार उदयातिथि के अनुसार सप्तमी का श्राद्ध 17 सितंबर को रखा जाएगा।
 
- जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) सप्तमी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। यदि आपको अपनी पितरों की मृत्यु तिथि नहीं याद है तो आप सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर सकते हैं। 
 
- यदि अकाल मृत्यु हुई है तो चतुर्दशी की तिथि को भी करें श्राद्ध। सौभाग्यवती स्त्री है तो नवमी को भी करें श्राद्ध। संन्यासी है तो एकादशी को भी करें श्राद्ध। बच्चे हैं तो त्रयोदशी को भी करें श्राद्ध।
 
- पितरों के लिए घी का दीप जलाएं, चंदन की धूप जलाएं। पितरों का पूजन करें। देवताओं को सफेद फूल, सफेद तिल, तुलसी पत्र समर्पित करें। 
 
- गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ मिश्रित जल की जलांजलि देते हैं। इसके लिए एक भगोने में जल ले लें और यज्ञोपवित धारण करके तर्पण करें।
 
- पहले पूर्वाभिमुख होकर देवताओं को, उत्तर में मुख करके देवताओं को और दक्षिण में मुख करके पितरों को तर्पण करें। पिंडदान के साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है।
 
- सामान्य विधि के अनुसार पिंडदान में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है।
- पिंड बनाने के बाद हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् व जल लेकर संकल्प करें। इसके बाद इस मंत्र को पढ़े. “ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।' 
 
- इसके बाद पंचबलि अर्थात गोबलि, श्वानबलि, काकबलि, पिपलादि और देवादिबलि कर्म जरूर करें। अर्थात इन सभी के लिए विशेष मंत्र बोलते हुए भोजन सामग्री निकालकर उन्हें ग्रहण कराई जाती है।
 
- अंत में भोजन के लिए थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण हेतु भोजन परोसा जाए। सप्तमी श्राद्ध में 7 ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
 
- इस दिन जमई, भांजे, मामा, नाती और कुल खानदान के सभी लोगों को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा जरूर दें।
 
- गुरुढ़ पुराण के अनुसार श्राद्ध करने से पूरे कुल में कोई दु:खी नहीं रहता। सप्तमी का श्राद्ध विधिवतरूप से करने से सभी तरह के कार्य सफल होते हैं।
 
- इस दिन गृह कलह न करें, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है। कोई यदि इनका उपयोग करना है तो पितर नाराज हो जाते हैं। शराब पीना, मांस खाना, श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से भी पितृ नाराज हो जाता हैं।
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