श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि कर्म करने के बाद भोजन कराए जाने की परंपरा है। बहुत से लोग यह कर्म नदी के किनारे करने के बाद भोजन कराते हैं और बहुत से घर पर ही यह कर्म करने के बाद भोजन कराते हैं। आओ जानते हैं कि किन किन को परोसा जाता है भोजन, जिससे पितृ हो जाते हैं प्रसन्न।
1. गाय : गौबलि अर्थात गाय को पत्ते पर भोजन परोसा जाता है। घर से पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर गाय को भोजन कराया जाता है तथा गाय को 'गौभ्यो नम:' कहकर प्रणाम किया जाता है।
2. कुत्ता : श्वानबलि अर्थात कुत्त को पत्ते पर भोजन परोसा जाता है।
3. कौवा : काकबलि अर्थात कौए के लिए छत या भूमि पर भोजन परोसा जाता है।
4. चींटी : पिपलिकादि बलि अर्थात चींटी-कीड़े-मकौड़ों इत्यादि के लिए पत्ते भोजन परोसा जाता। उनके बिल हों, वहां चूरा कर भोजन डाला जाता है।
5. देवी देवता : देवबलि अर्थात श्रीविष्णु, अर्यमा, यम, चित्रगुप्त सहित देवतों को पत्ते पर भोजन परोसा जाता है। बाद में इसे उठाकर घर से बाहर रख दिया जाता है।
6. ब्राह्मण भोज : इसके बाद ब्राह्मण भोज कराया जाता है। इस दिन सभी को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा दी जाती है। ब्राह्मण का निर्वसनी होना जरूरी है। ब्राह्मण नहीं हो तो संन्यासी या साधुजनों को भोजन कराएं।
7. भांजा : कहते हैं कि 100 ब्राह्मण एक भानेज। यदि भांजा या भांजी है तो उन्हें सबसे पहले भोजन कराएं।
8. जमाई : जमाई या बहनोई को भोजन कराना जरूरी है अन्यथा पितृ दु:ख होते हैं।
9. मछली : मछलियों को भी इस दिन अन्न का दाना डालना चाहिए। पितरों के निमित्त जो पिंडदान किया जाता है और उस पिंड को बाद में नदी में विसर्जित किया जाता है तो वह मछलियों और जलचर जंतुओं के लिए ही होता है।
10. पीपल : पीपल को जल अर्पित करना और उसकी पूजा करना भी जरूरी है।