क्यों करें अमावस्या पर पितरों का पूजन, जानिए क्या होगा लाभ

Webdunia
अमावस्या पर पूर्वज होंगे बिदा, कुल की रक्षा के लिए जरूर करें श्राद्ध 
 
श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को पूर्वज बिदा होकर प्रस्‍थान कर जाते हैं। अमावस्या के दिन भी उसी प्रकार श्राद्ध किया जाता है जिस प्रकार पितृपक्ष के 16 दिनों में विशेष तिथि किया जाता है। जिन पूर्वजों की श्राद्ध की तिथि याद न हो उनका श्राद्ध अमावस्‍या के दिन किया जाता है, इसमें सभी भूले-बिसरे पूर्वज  शामिल हो जाते हैं। 
 
हिंदू धर्म में श्राद्ध को पवित्र कार्य माना गया है, जिसमें परिवार अपने पितरों को याद करते हैं और उनकी शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिण्डदान आदि कराते हैं। पितृविसर्जन यानि महालया अमावस्या का पर्व इस बार 19 और 20 सितंबर को मनाया जाएगा। 
 
पितृपक्ष में यमराज हर साल सभी जीवों को मुक्त करते हैं। यमराज ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वे जीव अपने लोगों के द्वारा किए जा रहे तर्पण को ग्रहण कर सकें। 
 
पितृ अपने कुल की रक्षा करते हैं और उन्‍हें हर संकट से बचाते हैं। वे अपने वंशजों को सुख, समृद्धि, संतान, वैभव, यश, सौभाग्य, आरोग्य और ऐश्वर्य का आशीर्वाद देते हैं। 
 
श्राद्ध को तीन पीढ़ियों तक निभाया जाना चाहिए। 
 
अगर पितृ नाराज हो जाते हैं, तो जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

देखें वीडियो 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

क्या कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है या अगले जन्म में?

वैशाख अमावस्या का पौराणिक महत्व क्या है?

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि में होंगे वक्री, इन राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया से शुरू होंगे इन 4 राशियों के शुभ दिन, चमक जाएगा भाग्य

Lok Sabha Elections 2024: चुनाव में वोट देकर सुधारें अपने ग्रह नक्षत्रों को, जानें मतदान देने का तरीका

धरती पर कब आएगा सौर तूफान, हो सकते हैं 10 बड़े भयानक नुकसान

घर के पूजा घर में सुबह और शाम को कितने बजे तक दीया जलाना चाहिए?

Astrology : एक पर एक पैर चढ़ा कर बैठना चाहिए या नहीं?

100 साल के बाद शश और गजकेसरी योग, 3 राशियों के लिए राजयोग की शुरुआत

Varuthini ekadashi 2024: वरुथिनी व्रत का क्या होता है अर्थ और क्या है महत्व

अगला लेख