महाभारत के अनुसार ऐसे शुरू हुई थी श्राद्ध की परंपरा

अनिरुद्ध जोशी
वेदों के पितृयज्ञ को ही पुराणों में विस्तार मिला और उसे श्राद्ध कहा जाने लगा। पितृपक्ष तो आदिकाल से ही रहता आया है, लेकिन जब से इस पक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध करने की परंपरा का प्रारंभ हुआ तब से अब तक इस परंपरा में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। यह परंपरा भी आदिकाल से ही चली आ रही है।
 
 
श्राद्ध की परंपरा आखिर किसने और कब शुरू की इस संबंध में विद्वानों में मतभेद हैं, लेकिन महाभारत के अनुशासन पर्व में एक कथा आती है जिससे श्राद्ध करने की परंपरा का उल्लेख मिलता है। इस पर्व में भीष्म पितामह युधिष्ठिर को श्राद्ध पर्व के बारे में बताते हैं। महाभारत के अनुसार सबसे पहले श्राद्ध का उपदेश महर्षि निमि ने अत्रि मुनि को दिया था। महर्षि निमि संभवत: जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर थे। इस प्रकार पहले निमि ने श्राद्ध का आरंभ किया, उसके बाद अन्य महर्षि भी श्राद्ध करने लगे।
 
 
श्राद्ध का उनके द्वारा उपदेश देने के बाद श्राद्ध कर्म का प्रचलन प्रारंभ हुआ और धीरे धीरे यह समाज के हर वर्ण में प्रचलित हो गया। महाभारत के युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने कौरव और पांडव पक्ष की ओर से मारे गए सभी वीरों का न केवल अंतिम संस्कार किया था। जब श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम्हें कर्ण का भी श्राद्ध करना चाहिए तब युधिष्ठिर ने कहा कि वह तो हमारे कुल का नहीं है तो मैं कैसे उसका श्राद्ध कर सकता हूं? उसका श्राद्ध तो उसके कुल के लोगों को ही करना चाहिए। इस उत्तर के बाद पहली बार भगवान श्रीकृष्ण ने यह राज खोला था कि कर्ण तुम्हारा ही बड़ा भाई है। यह सुनकर सभी पांडव सन्न रह गए थे।
 
उल्लेखनीय है कि भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध किया था, जिसका उल्लेख रामायण में मिलता है। मतलब यह कि महाभारत काल के पूर्व से ही श्राद्ध करने की परंपरा का प्रचलन रहा है। हालांकि श्राद्ध की परंपरा वैदिक काल से ही जारी है। वेदों में देवों के साथ ही पितरों की स्तुति का उल्लेख भी मिलता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Astrology: कब मिलेगा भवन और वाहन सुख, जानें 5 खास बातें और 12 उपाय

अब कब लगने वाले हैं चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिये डेट एवं टाइम

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

Hast rekha gyan: हस्तरेखा में हाथों की ये लकीर बताती है कि आप भाग्यशाली हैं या नहीं

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru Shukra ki yuti: 12 साल बाद मेष राशि में बना गजलक्ष्मी राजयोग योग, 4 राशियों को मिलेगा गजब का लाभ

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समय और शुभ मुहूर्त जानिए

Aaj Ka Rashifal: आज कैसा गुजरेगा आपका दिन, जानें 29 अप्रैल 2024 का दैनिक राशिफल

अगला लेख