Shradha paksha 2025: भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या यानि सर्वपितृ अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष रहता है जिसे पितृ पक्ष भी कहते हैं। 7 सितंबर से 21 सितंबर श्राद्ध पक्ष चलेगा। श्राद्ध पक्ष में तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध एक ही दिन था परंतु कुछ लोग पंचमी और षष्ठी का श्राद्ध आज यानि 12 सितंबर को मानकर पंचमी का श्राद्ध भी कर रहे हैं। सही तिथि कौनसी है?
अपराह्न काल का महत्व: श्राद्ध पक्ष रात्रि का पर्व नहीं है यह दिन का पर्व है। इसीलिए कुछ लोग उदयातिथि के अनुसार 12 सितंबर को पंचमी तिथि बता रहे हैं। जबकि यह तिथि विशेष के अंतर्गत अपरान्ह काल में श्राद्ध करने का पर्व है। अर्थात दोपहर में या दोपहर बाद ही श्राद्ध कर्म करने का विधान है। हालांकि विद्वान लोग कुतुप काल, रोहिणी मुहूर्त और अपराह्न में श्राद्ध करने का बोलते हैं। कुतुप काल दोपहर का समय होता है जिसे मध्यान्ह काल कहते हैं। अब जानते हैं कि क्या आज पंचमी का श्राद्ध करें या कि षष्ठी तिथि का।
पंचमी तिथि का प्रारम्भ- 11 सितंबर 2025 को दोपहर 12:45 बजे से।
पंचमी तिथि की समाप्ति- 12 सितंबर 2025 को सुबह 09:58 पर।
षष्ठी तिथि प्रारम्भ- 12 सितम्बर 2025 को सुबह 09:59 बजे से।
षष्ठी तिथि समाप्त- 13 सितम्बर 2025 को सुबह 07:23 बजे तक।
राहुकाल प्रातः 12 सितंबर 10:30 मिनट से 12:00 बजे तक।
निष्कर्ष : उपरोक्त तिथि के अनुसार 12 सितंबर को सुबह 09 बजकर 58 मिनट पर पंचमी तिथि समाप्त होकर षष्ठी तिथि लग गई है तो फिर इस दिन मध्यान्ह या अपराह्न काल का समय षष्ठी तिथि में ही माना जाएगा। अर्थात कुतुप काल, रोहिणी मुहूर्त और अपराह्न काल में षष्ठी तिथि रहेगी। 12 सितंबर को 12 बजे बाद ही षष्ठी तिथि का श्राद्ध रहेगा पंचमी का नहीं। 12 सितंबर को राहु काल के बाद षष्ठी तिथि का श्राद्ध कर सकते हैं। हालांकि कुछ विद्वान उदयातिथि को मानकर आज पूरे दिन पंचमी तिथि मान रहे हैं। हमारे अनुसार तो आज षष्ठी का ही श्राद्ध रहेगा।
12 सितंबर 2025 षष्ठी तिथि श्राद्ध मुहूर्त:
कुतुप मुहूर्त- दिन में 11:50 से 12:37 तक।
रौहिण मुहूर्त- दिन में 12:37 से 01:24 तक।
अपराह्न काल- दिन में 01:24 से 03:45 तक।