प्रतिपदा श्राद्ध का महत्व: प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध उन पितरों के लिए किया जाता है जिनका निधन किसी भी माह की प्रतिपदा तिथि को हुआ हो। यह श्राद्ध पितृ पक्ष का पहला श्राद्ध होता है, जिसे विधि-विधान से करने पर पितर प्रसन्न होकर परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इस समयावधि में शाकाहारी भोजन, शांत मन, स्वच्छता अनिवार्य बताई गई है। साथ ही पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु शांति पाठ, मंत्रोच्चारण, सूर्य देव की आराधना करें।
श्राद्ध की विधि:
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। जिस स्थान पर श्राद्ध करना है, उसे गोबर से लीपकर या गंगाजल छिड़क कर शुद्धिकरण कर लें।
2. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें। तांबे के लोटे में गंगाजल, दूध, जौ, चावल, सफेद फूल और काले तिल मिलाकर तर्पण करें।
3. पितरों के लिए आटे और चावल से बने पिंडों को तैयार करें और उन्हें अर्पित करें।
4. श्राद्ध के लिए घर की महिलाएं सात्विक भोजन (जैसे खीर, पूड़ी, सब्ज़ियां) बनाएं।
6. भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवता के लिए अलग निकालकर रखें। इसे पंचबलि श्राद्ध कहा जाता है।
7. श्राद्ध के दौरान पूरी श्रद्धा के साथ अपने पितरों का स्मरण और आह्वान करके प्रार्थना करें।
पितृ पक्ष में ध्यान रखने योग्य बातें
• श्राद्ध कर्म में शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
• श्राद्ध हमेशा श्रद्धा भाव से किया जाना चाहिए।
• पितृ पक्ष में तामसिक भोजन (मांस, मछली, प्याज, लहसुन) से परहेज करें।
• इन दिनों कोई भी नया कार्य या शुभ कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
• पितरों को जल अर्पित करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख रखें।
• किसी भी प्रकार के विवाद या क्रोध से बचें और सात्विक आचरण अपनाएं।
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