बिल्वपत्र की जड़ में हैं यह 6 विशेषताएं

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जिस प्रकार भगवान शि‍व के पूजन एवं शिव की कृपा प्राप्ति के लिए बिल्वपत्र और उसके वृक्ष का महात्म्य है, उसी प्रकार बिल्वपत्र के वृक्ष की जड़ का भी विशेष महत्व होता है। इसे पूजन के साथ-साथ औषधि‍ के रूप में प्रयोग किया जाता है। यदि आप नहीं जानते तो जरूर पढ़ें, बिल्वपत्र के जड़ की यह 6 महत्वपूर्ण विशेषताएं - 

बिल्वपत्र के वृक्ष को श्रीवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी जड़ को पूजनीय माना गया है। इसमें मां लक्ष्मी का साक्षात वास होता है। 
2  बिल्व की जड़ के पास किसी शिवभक्त को घी सहित अन्न, खीर या मिष्ठान्न दान करता है, वह कभी दरिद्रता या धनाभाव से ग्रसित नहीं होता। 
3  बिल्वपत्र की जड़ का पूजन करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है, और शिव की कृपा प्राप्त होती है।
4  संतान सुख की प्राप्ति के लिए फूल, धतूरा, गंध और स्वयं बिल्वपत्र चढ़ाकर इस वृक्ष के जड़ का पूजन किया जाता है। इससे सभी सुखों की प्राप्ति होती है। 
5  बिल्वपत्र की जड़ का जल अपने माथे पर लगाने से समस्त तीर्थयात्राओं का पुण्य प्राप्त हो जाता है। 
6  बिल्वपत्र की जड़ को पानी में घिसकर या उबालकर औषधि‍ के रूप में प्रयोग किया जाता है। कष्टकारी रोगों में भी यह अमृत के समान लाभकारी होती है। 

2  बिल्व की जड़ के पास किसी शिवभक्त को घी सहित अन्न, खीर या मिष्ठान्न दान करता है, वह कभी दरिद्रता या धनाभाव से ग्रसित नहीं होता। 


 
3  बिल्वपत्र की जड़ का पूजन करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है, और शिव की कृपा प्राप्त होती है।

4  संतान सुख की प्राप्ति के लिए फूल, धतूरा, गंध और स्वयं बिल्वपत्र चढ़ाकर इस वृक्ष के जड़ का पूजन किया जाता है। इससे सभी सुखों की प्राप्ति होती है। 


 
5  बिल्वपत्र की जड़ का जल अपने माथे पर लगाने से समस्त तीर्थयात्राओं का पुण्य प्राप्त हो जाता है। 
6  बिल्वपत्र की जड़ को पानी में घिसकर या उबालकर औषधि‍ के रूप में प्रयोग किया जाता है। कष्टकारी रोगों में भी यह अमृत के समान लाभकारी होती है। 
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