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श्रावण मास की हरियाली तीज और हरतालिका तीज में क्या अंतर है?

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हमें फॉलो करें hariyali teej 2025  ki kab hai

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 25 जुलाई 2025 (16:02 IST)
श्रावण मास में हरियाली अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष की तीज को हरियाली तीज और इसके बाद भादौ यानी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तीज के दिन हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है। हरियाली तीज और हरितालिका तीज दोनों ही त्योहार माता पार्वती से जुड़े हुए हैं। इस दौरान महिलाएं व्रत रखकर माता पार्वती की पूजा और आराधना करती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज 27 जुलाई 2025 को है, जबकि हरतालिका तीज 26 अगस्त को है। आओ जानते हैं दोनों के बीच का अंतर।
 
1. दोनों में है 1 माह का अंतर: हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तीज को आती है जबकि भाद्रपद शुक्ल तीज को हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है।
 
2. श्रृंगार और व्रत: हरियाली तीज के दिन महिलाएं सामान्य व्रत रखती हैं, मेंहदी लगाती हैं, श्रृंगार करती हैं, हरा लहरिया या चुनरी में गीत गाती हैं, झूला झूलती हैं और खुशियां मनाती हैं जबकि हरितालिका तीज के दिन सुहागन स्त्रियां कड़ा व्रत रखती हैं जिसके नियम भी कड़े रहते हैं।
 
3. पति की दीघायु के लिए रखती हैं व्रत: कहते हैं कि माता पार्वती के व्रत की शुरुआत हरियाली तीज से होकर हरितालिका तीज को समाप्त होती है। हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। 
 
4. मेला और पूजा: हरियाली तीज के दिन अनेक स्थानों पर मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है, जबकि हरितालिका तीज में ऐसा कुछ नहीं होता है बल्कि दिन और रात में निश्‍चित समय पर पूजा होती है।
 
5. पुनर्मिलन की याद और सुहाग की रक्षा: आस्था, सौंदर्य और प्रेम का यह त्योहार हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाया जाता है जबकि सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए हरितालिका तीज का कठिन व्रत करती हैं। 
 
हरतालिका तीज: मां पार्वती ने भगवान शिवजी को वर रूप में प्राप्त करने के लिए घोर वन में तप किया व बालू के शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें वर दिया। बाद में राजा हिमालय (पर्वत) ने भगवान शिव व माता पार्वती का विवाह कराया। माता ने जब यह व्रत किया था, तब भाद्रपद की तीज तिथि थी व हस्त नक्षत्र था। उन्हें स्वयं शिवजी प्राप्त हुए। 

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