famous naga temples in india: भारतीय ज्योतिष में 'काल सर्प दोष' एक ऐसी स्थिति है जिसे अक्सर जीवन में संघर्ष, बाधाओं और अप्रत्याशित चुनौतियों से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं, तो यह दोष बनता है। हालांकि, इस दोष से मुक्ति पाने और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें नाग मंदिरों की यात्रा और वहां विशेष पूजा-अर्चना का अत्यधिक महत्व है। भारत में ऐसे कई प्राचीन और पवित्र नाग मंदिर हैं, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु काल सर्प दोष के निवारण के लिए आते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही 5 प्रमुख नाग मंदिरों के बारे में, जो आस्था और समाधान का संगम हैं।
-
नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर के परिसर में तीसरी मंजिल पर विराजमान नागचंद्रेश्वर मंदिर अपनी अनूठी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर के कपाट साल में केवल एक बार, नाग पंचमी के दिन, 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं। मान्यता है कि यहां नागराज पर शिव-पार्वती सहित शेषनाग की दुर्लभ प्रतिमा के दर्शन मात्र से ही काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। लाखों भक्त इस एक दिन के दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े रहते हैं, यह विश्वास लेकर कि नागचंद्रेश्वर महादेव उनके सभी कष्टों का निवारण करेंगे।
-
सेम-मुखेम नागराज मंदिर, उत्तराखंड: उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित सेम-मुखेम नागराज मंदिर देवभूमि का एक और महत्वपूर्ण नाग तीर्थ है। मान्यता के अनुसार द्वारका नगरी के डूबने के बाद भगवान कृष्ण यहां नागराज के रूप में प्रकट हुए थे। यह भी माना जाता है कि मुखेम गांव की स्थापना पांडवों ने की थी। यह नाग तीर्थ पर्वत के सबसे ऊपरी भाग पर स्थित है। यहां की स्वयं-भू भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। सेम-मुखेम में काल सर्प दोष, पितृ दोष और चर्म रोगों से मुक्ति के लिए विशेष पूजाएं की जाती हैं।
-
वासुकी नाग मंदिर, प्रयागराज उत्तर प्रदेश: के प्रयागराज में गंगा नदी के तट पर स्थित नाग वासुकी मंदिर भगवान शिव के प्रिय नाग वासुकी को समर्पित है। यह विश्व का एकमात्र मंदिर है जहां नागवासुकी की आदमकद प्रतिमा विराजमान है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जब नागराज वासुकी लहूलुहान हो गए थे, तो उन्होंने यहीं आराम किया था। नाग पंचमी के दिन यहां विशेष मेला लगता है और हजारों भक्त संगम में स्नान के बाद वासुकी नाग के दर्शन कर काल सर्प दोष से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। मटर, चना, फूल और दूध अर्पित करना यहां की प्रमुख पूजा विधि है। मान्यताओं के अनुसार, वासुकी नाग मंदिर में पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
-
मन्नारशाला नाग मंदिर, केरल: केरल के अलेप्पी जिले में स्थित मन्नारशाला श्री नागराज मंदिर एक अद्वितीय और रहस्यमयी नाग मंदिर है। यह मंदिर लगभग 16 एकड़ के हरे-भरे जंगल में फैला हुआ है और यहां एक-दो नहीं, बल्कि 30,000 से अधिक नाग प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह मंदिर नागराज और उनकी अर्धांगिनी नागयक्षी देवी को समर्पित है। मान्यता है कि यहां संतान प्राप्ति और काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए विशेष पूजाएं की जाती हैं। मन्नारशाला मंदिर में केवल नंबूदिरी परिवार के लोग ही पूजा करते हैं। यह भी कहा जाता है कि नागराज का जन्म इसी परिवार की एक महिला के गर्भ से हुआ था। इस मंदिर का प्रबंधन एक महिला पुजारी द्वारा किया जाता है, जो इसकी एक और अनूठी विशेषता है।
-
त्र्यंबकेश्वर मंदिर, नासिक: महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह काल सर्प दोष निवारण के लिए सबसे प्रमुख स्थानों में से एक माना जाता है। पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम स्थल होने के कारण भी इसका विशेष महत्व है। यहां काल सर्प दोष शांति पूजा विधि-विधान से की जाती है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह दोष के हानिकारक प्रभावों को सफलतापूर्वक समाप्त करती है। यह मंदिर कालसर्प दोष पूजा के लिए बहुत प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ त्र्यंबकेश्वर पूजा करने और नाग-नागिन के जोड़े को मुक्त करने से कालसर्प योग का निवारण होता है। त्र्यंबकेश्वर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की विशेष दिव्य उपस्थिति भी मानी जाती है, जो इस स्थान को और भी पवित्र बनाती है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।