कावड़ यात्रा का क्या मिलता है फल, जानिए 5 प्रमुख यात्राएं

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संतान की बाधा व उनके विकास के लिए, मानसिक प्रसन्नता हेतु, मनोरोग के निवारण के लिए, आर्थिक समस्या के समाधान हेतु कावड़ यात्रा शीघ्र व उत्तम फलदायी है। कावड़ यात्रा किसी भी जलस्रोत से किसी भी शिवधाम तक की जाती है।

 
 
कावड़ की कुछ प्रमुख यात्राएं यह हैं 
* नर्मदा से महाकाल तक 
* गंगाजी से नीलकंठ महादेव तक 
* गंगा से बैजनाथ धाम (बिहार) तक 
* गोदावरी से त्र्यम्बक तक 
* गंगाजी से केदारेश्वर तक 
 
इन स्थानों के अतिरिक्त असंख्य यात्राएं स्थानीय स्तर से प्राचीन समय से की जाती रही हैं। 

यात्रा से व्यक्ति के जीवन में सरलता आकर उसकी संपूर्ण कामनाओं की पूर्ति होती है। यात्रा प्रारंभ करने से पूर्ण होने तक का सफर पैदल ही तय किया जाता है। इसके पूर्व व पश्चात का सफर वाहन आदि से किया जा सकता है। 

कावड़ यात्रा एक भाविक अनुष्ठान है जिसमें कर्मकांड के जटिल नियम के स्थान पर भावना की प्रधानता है जिसके फलस्वरूप इस श्रद्धा-कर्म के कारण महादेवजी की कृपा शीघ्र मिलने की स्थिति बनती है। यह प्रवास-कर्म व्यक्ति को स्वयं से, देश से व देशवासियों से परिचित करवाता है। यात्राकर्ता के प्रति अन्य जन का क्या कर्म होना चाहिए? इसमें इन बातों का ख्याल रखना चाहिए-  पढ़ें अगले पेज पर 

* यात्री को सुगमता रहे, इस तरह की मार्ग में व्यवस्था करना चाहिए। 
* यात्राकर्ता को साधारण नहीं समझ करके विशेष भक्त समझकर उसके प्रति सम्मान व आस्था रखनी चाहिए। 
* यात्री की सेवा करने का फल भी यात्रा करने के समान है इसलिए उसकी सेवा अवश्य करनी चाहिए। 
* यात्री को व जल पात्र को पूजन या नमस्कार अवश्य करना चाहिए। 
* ऐसा कोई कर्म नहीं करना चाहिए जिससे कावड़ यात्री को कष्ट या दुःख पहुंचे। 

shiv shankar
इस प्रवास-कर्म का कोई विशेष लेखा-जोखा तो लिखित में उपलब्ध नहीं है, परंतु महान संतों से लेकर जनसामान्य द्वारा किए गए इस सतत यज्ञ में जो कि शिव के प्रिय मास श्रावण से हमेशा से होता आ रहा है, कि विधि-विधान एवं फल की प्राप्ति की अनुभूतियां प्रत्येक शिवभक्त के पास उपलब्ध हैं। जरूरत सिर्फ उसके संस्मरण सुनने की है। जब हम यात्री से बात करें तो हमें प्रभु की आश्चर्यमयी बातें एवं चमत्कारिक फलों के बारे में सुनने को मिलता है। ऐसा अनुभव लगभग सभी यात्री के पास मौजूद है।
 
इस यात्रा के लिए श्रद्धा-विश्वास के अतिरिक्त पैदल चलने की आवश्यकता है। यह होने पर शिवकृपा के चमत्कार व्यक्ति स्वयं पा सकता है। यात्रा की दूरी व्यक्ति की आस्था के कारण समाप्त हो जाती है। और भक्त की यही आशा शिवजी पर जल अर्पण करते समय रहती है कि यह अवसर जीवन में बार-बार आता रहे, यही वर भगवान भोला-भंडारी से सबको प्राप्त हो।
 
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