कावड़ यात्रा 2019 : क्या आपको पता है कावड़ यात्रा के नियम, शामिल हो रहे हैं आप भी तो इसे अवश्य पढ़ें

Webdunia
ज्योतिर्विद डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी
 
कावड़ यात्रा में नित्य कर्म से शुद्ध व पवित्र होकर वरुण, उस तीर्थ एवं देवता का पूजन करके जल को किसी भी पात्र में भरा जाता है। पात्र धातु ताँबा, पीतल, चाँदी के ले सकते हैं। धातु के पात्र से शुद्धता बनाए रखने में अधिक सुगमता रहती है। मिट्टी के पात्र भी जल संग्रह में ग्राह्य हैं, परंतु इसमें पवित्रता के प्रति सतर्कता अतिआवश्यक है। प्लास्टिक, काँच, एल्युमीनियम, स्टील के पात्र त्याज्य हैं।
 
जलस्रोत से एक बार जल भरकर उसे अभीष्ट कर्म के पूर्व अर्थात शिवजी को अर्पण करने के पहले भूमि पर नहीं रखना चाहिए। इसके मूल में भावना यह हैकि जलस्रोत से प्रभु को सीधे जोड़ा है जिससे धारा प्राकृतिक रूप से उन पर बनी रहे एवं उनकी कृपा हमारे ऊपर भी सतत धारा के अनुसार बहती रहे जिससे संसार सागर को सुगमता से पार किया जा सके। 
 
अशौच की दशा में पात्र को किसी दूसरे साथी को देकर वृक्ष पर रखकर अथवा इस प्रकार से रखें जिससे उसका स्पर्श भूमि पर नहीं होना चाहिए। यात्रा के दौरान व्रत रखना चाहिए। यात्रा समूह में करनी चाहिए अथवा एक साथी अवश्य होना चाहिए। जल का पात्र टूटा-फूटा या किसी और उपयोग में आया हुआ नहीं होना चाहिए। उसे रेशम या सूत की रस्सी से बांधना चाहिए। उसमें लगने वाली लकड़ी या डंडा भी साफ व दोषमुक्त होना चाहिए। जलपात्र किसी को देना नहीं चाहिए। 
 
यात्रा सूर्योदय से दो घंटे पूर्व से व सूर्यास्त के दो घंटे बाद तक ही करना चाहिए। रात्रि में यात्रा स्थगित रखना चाहिए। पूरी यात्रा में किसी भी मंत्र का जप या भजन का उच्चारण व स्मरण करते रहना चाहिए। 'बम-बम' शब्द भी शिवजी को प्रिय है। इसको भी उच्चारण में ले सकते हैं।
 
इसके अतिरिक्त इनका भी उच्चारण कर सकते हैं - 
 
* जय-जय शंकर हर-हर शंकर 
* हरि ॐ निरंजन राम हरिओम बोले 
* जय महाकाल-जय शिवशंकर 
* नमः शिवायै ॐ नमः शिवायै 
* जै शिव जै शिव ओंकारा 
 
यात्रा के दौरान इन बातों का ध्यान रखें 
 
* यात्रा में किसी से विवाद नहीं हो, 
* किसी पर क्रोध नहीं करें, 
* पराया अन्न-जल ग्रहण करने से बचें, 
* तर्क-वितर्क के स्थान पर सत्संग करें, 
* नशा नहीं करें, वस्त्र धुले पहनें, 
* नियमित स्नान व पूजन करें, 
* केश नहीं कटवाएं, 
* नाखून नहीं काटें, 
* भूमि पर ही वस्त्र डाल करके शयन करें, 
* प्रभु स्तुति के अतिरिक्त मौन रहें, 
* यात्रा के दौरान किसी के भी स्पर्श से बचना चाहिए। 
 
पंचतत्व के स्वामी शंकर पर जल चढ़ाने से जल तत्व की कमी पूर्णतः दूर होकर पंचतत्वों की भी पूर्णता प्राप्त होती है। जल तत्व संबंधित कमी अर्थात संतान की बाधा व उनके विकास के लिए, मानसिक प्रसन्नता हेतु, मनोरोग के निवारण के लिए, आर्थिक समस्या के समाधान हेतु कावड़ यात्रा शीघ्र व उत्तम फलदायी है। इसके अतिरिक्त भी संपूर्ण कामना के लिए अथवा निष्काम भाव से यह यात्रा-पूजा की जा सकती है। 

ALSO READ: श्रावण मास में कावड़ यात्रा : इस शिव आराधना से क्या मिलता है धार्मिक लाभ

ALSO READ: कैसे शुरू हुई शुभ कावड़ यात्रा, कौन थे पहले कावड़िया?

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Astrology : किस राशि के लोग आसानी से जा सकते हैं आर्मी में?

Vastu Tips : वास्तु के अनुसार इन 4 जगहों पर नहीं रहना चाहिए, जिंदगी हो जाती है बर्बाद

Mangal Gochar : मंगल का मीन राशि में प्रवेश, 12 राशियों का राशिफल जानें

Shani Sade Sati: 3 राशि पर चल रही है शनिदेव की साढ़ेसाती, 2 पर ढैया और किस पर कब लगेगा शनि?

Vastu Tips : वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में 2 वास्तु यंत्र रखने से होता है वास्तु दोष दूर

बृहस्पति का वृषभ राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा नुकसान, जानें उपाय

Sabse bada ghanta: इन मंदिरों में लगा है देश का सबसे वजनी घंटा, जानें क्यों लगाते हैं घंटा

अब कब लगने वाले हैं चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिये डेट एवं टाइम

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

वैष्णव संत रामानुजाचार्य के बारे में 5 खास बातें

अगला लेख