Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

प्रथम महाकाल सवारी कब निकलेगी, क्या होगा पालकी का मार्ग

हमें फॉलो करें mahakal shringar
Mahakal pratham sawari 2023 : 4 जुलाई से श्रावण का माह प्रारंभ हो गया है जो 31 अगस्त तक चलेगा। इस बार श्रावण मास में 8 और भाद्रपद में 2 महाकाल सवारी का आयोजन होगा। यानी कुल 10 सवारियां निकाली जाएगी। आओ जानते हैं कि क्या है सवारी की तैयारियां और कौनसे रूट से निकलेगी प्रथम पालकी।
 
महाकाल की पहली प्रथम सावारी ujjain mahakal ki palki:- सावन माह में महाकाल बाबा की 10 बार पालकी निकालेंगे क्योंकि इस बार श्रावण माह 2 माह रहेगा, जिसमें 8 सवारी निकलेगी जबकि भादों में 2 सवारी निकालेंगे। इस विशेष संयोग में शिव पूजा का महत्व बढ़ जाएगा और साथ ही उनका भरपूर आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। 10 जुलाई को पहली सवारी निकालने की तैयारियां शुरु हो चुकी है।
 
सवारी की तैयारियां : श्रावण सोमवार की तैयारी को लेकर कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम और एसपी सचिन शर्मा ने एक बैठक की है। बैठक में श्रद्धालुओं को सुविधाओं और दर्शन व्यवस्था की समीक्षा की गई। कलेक्टर ने पूरे महाकाल लोक में 8 से 10 बड़ी स्क्रीन लगाई जाने के निर्देश भी दिए है। भक्तों के लिए पीने के पानी, टेंट, कारपेट व्यवस्था के साथ ही छांव के लिए उचित इंतजाम करने के निर्देश दिए। एसपी सचिन शर्मा ने सवारी के 3 घण्टे पहले ट्रैफिक व्यवस्था डाइवर्ट करने का प्रस्ताव रखा है। 
webdunia
भस्मारती का समय क्या रहेगा : मंदिर में प्रात: काल पट खुलने का समय तड़के 3 बजे रहेगा तथा प्रत्येक सोमवार प्रात: 2.30 बजे रहेगा। भस्मार्ती के दौरान कार्तिकेय मण्डपम् की अंतिम 3 पंक्तियों से भक्तों के लिए चलित भस्मार्ती दर्शन की‍ व्यवस्था रहेगी।
 
महाकाल सवारी का क्या रहेगा रूट : सवारी के रुट और स्वागत को लेकर भी बैठक में कई बड़े निर्णय लिए गए। नगर निगम अब सवारी मार्ग की मरम्मत करने तथा सड़क बनाने में लगा है। इस बार परंपरागत मार्ग के चौड़ीकरण और मरम्मत का काम चल रहा है। इसलिए अभी यह निश्‍चित नहीं है कि सवारी परंपरागत मार्ग से ही निकलेगी या नहीं।
 
परंपरागत मार्ग : परंपरागत मार्ग के अनुसार महाकाल मंदिर से सवारी सबसे पहले कोटमोहल्ला पहुंचेगी। फिर क्रमवार गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंचेगी। पूजा के बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिकचौक, खाती समाज का जगदीश मंदिर, सत्यनारायण मंदिर के सामने से होकर ढाबारोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए करीब शाम 7.30 बजे पुन: महाकाल मंदिर पहुंचती है।

webdunia


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सिंह राशि में मंगल का गोचर, जानें किसके लिए शुभ किसके लिए अशुभ