सावन सोमवार से संबंधित आरती चालीसा सहित महत्वपूर्ण जानकारी

WD Feature Desk
गुरुवार, 3 जुलाई 2025 (12:01 IST)
Shiv Puja in Sawan Monday: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक है। इस महीने में सोमवार के दिन शिव जी की विशेष पूजा और व्रत का अत्यधिक महत्व है। मान्यता है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं, संतान सुख प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।ALSO READ: सावन मास में उज्जैन में महाकाल बाबा की प्रथम सवारी कब निकलेगी?

आइए यहां जानते हैं श्रावण सोमवार से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी तथा आरती, चालीसा, पूजन विधि और सावन सोमवार की तिथियों के बारे में...
 
सावन सोमवार 2025 की महत्वपूर्ण तिथियां: वर्ष 2025 में सावन का महीना 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से शुरू हो रहा है और इसका समापन 9 अगस्त 2025, शनिवार को होगा।
 
सावन मास के सोमवार:
• पहला सावन सोमवार: 14 जुलाई 2025, सोमवार
• दूसरा सावन सोमवार: 21 जुलाई 2025, सोमवार
• तीसरा सावन सोमवार: 28 जुलाई 2025, सोमवार
• चौथा सावन सोमवार: 04 अगस्त 2025, सोमवार
 
सावन सोमवार का व्रत पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर ही इसका पूर्ण फल मिलता है। यहां जानें सावन सोमवार व्रत विधि:ALSO READ: sawan somwar 2025: सावन सोमवार का व्रत पूरे माह रखें या कि सिर्फ सोमवार को?
1. सुबह स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए 'मम क्षेमस्थैर्यसिद्धयर्थं सकल-मनोरथ-सिद्धये श्रावण-सोमवार-व्रतं करिष्ये' मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
2. शिवलिंग पर जलाभिषेक और पूजन:
- घर के मंदिर में या शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर सबसे पहले जल अर्पित करें। यदि गंगाजल मिला हुआ हो तो और भी शुभ होता है।
- उसके बाद दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर यानी पंचामृत से अभिषेक करें।
- फिर शुद्ध जल से पुनः अभिषेक करें।
- शिवलिंग पर हमेशा बेलपत्र उल्टा अर्पित करें यानी चिकना भाग शिवलिंग की ओर हो, साथ ही धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद पुष्प या आक के फूल, चंदन, अक्षत, भस्म आदि अर्पित करें।
- माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री, लाल चुनरी और पुष्प अर्पित करें।
- धूप और दीपक जलाएं।
3. मंत्र जाप और कथा:
- भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे 'ॐ नमः शिवाय' या 'महामृत्युंजय मंत्र'।
- शिव चालीसा का पाठ करें।
- सावन सोमवार व्रत की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
4. आरती:
- पूजा के अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
5. प्रसाद:
- भगवान को फल, मिठाई (जैसे खीर, हलवा) आदि का भोग लगाएं।
- भोग लगाने के बाद प्रसाद का वितरण करें।
6. फलाहार और पारण:
- दिनभर व्रत रखें। यदि निराहार नहीं रह सकते तो फलाहार में दूध, फल, साबूदाना, कुट्टू आदि ग्रहण करें।
- शाम को सूर्यास्त के बाद दोबारा पूजा करें, यदि आपने संकल्प न लिया हो तो दिन में एक बार ही पूजा करें।
- अगले दिन यानी मंगलवार को स्नानादि के बाद व्रत का पारण करें, सात्विक भोजन ग्रहण करें।
 
व्रत के नियम और सावधानियां:
• सावन सोमवार व्रत में प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
• चावल का सेवन न करें।
• दिन में सोने से बचें।
• किसी का अपमान न करें, क्रोध न करें।
• मन को शांत और पवित्र रखें।ALSO READ: सावन सोमवार में कब करें शिवजी का रुद्राभिषेक, क्या है इसकी विधि?
 
यहां पढ़ें भगवान शिव की आरती :
 
आरती: ॐ जय शिव ओंकारा
 
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
 
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
 
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
 
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
 
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
 
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
 
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
 
श्री शिव चालीसा यहां पढ़ें:ALSO READ: सावन मास के व्रत और त्योहारों की लिस्ट
 
शिव चालीसा
 
।।दोहा।।
 
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
 
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लव निमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। विघ्न विनाशन मंगल कारण ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तधाम शिवपुर में पावे॥

कहत अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
 
॥दोहा॥
 
नित्य नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
 
सावन सोमवार का व्रत और पूजा, भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त करने का एक अद्भुत अवसर है। इस तरह श्रावण सोमवार में पूजा-आराधना करके आप अनंत फल प्राप्त कर सकते हैं। 
 
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