Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

श्रावण मास : शिवलिंग पर बेलपत्र क्यों चढ़ाते हैं?

हमें फॉलो करें श्रावण मास : शिवलिंग पर बेलपत्र क्यों चढ़ाते हैं?

अनिरुद्ध जोशी

, शनिवार, 7 अगस्त 2021 (12:01 IST)
श्रावण मास या किसी भी शिव त्योहार पर शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, जल, भस्म, धतूरा, दूध, भांग और शहद आदि अर्पित किया जाता है। आखिर शिवलिंग पर बेलपत्र क्यों चढ़ाते हैं, आओ जानते हैं इसका रहस्य।
 
 
1. बेलपत्र में तीन पत्तियां होती हैं। मान्यता अनुसार इन तीन पत्तियों को तीन गुणों सत्व, रज और तम से जोड़कर देखा जाता है। इन्हें ही त्रिदेव (सृजन, पालन और विनाश) का रूप भी माना जाता है। इसे ओम की तीन ध्वनि का प्रतीक भी माना जाता है। बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखें या उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक माना जाता है।
 
2. शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्वपत्र चढ़ाने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और कभी भी आर्थिक तंगी नहीं रहती है। बिल्वपत्र को तिजोरी में रखने से भी बरकत आती है।
 
3. कहते हैं कि जब समुद्र मंथन के बाद विष निकला तो भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए ही इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और उनका पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया जिसकी वजह से आसपास का वातावरण भी गरम होने लगा। चूंकि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है इसलिए सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया। बेलपत्र के साथ साथ शिव को शीतल रखने के लिए उन पर जल भी अर्पित किया गया। बेलपत्र और जल के प्रभाव से भोलेनाथ के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत होने लगी और तभी से शिवजी पर जल और बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी।
 
4. एक अन्य कथा के अनुसार एक भील नाम का डाकू था। यह डाकू अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटता था। एक बार जब सावन का महीना था, भील नामक यह डाकू राहगीरों को लूटने के उद्देश्य से जंगल में गया। इसके लिए वह एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया। देखते ही देखते पूरा एक दिन और पूरी रात बीत जाने पर भी उसे कोई शिकार नहीं मिला। जिस पेड़ पर वह डाकू चढ़कर छिपा था, वह बिल्व का पेड़ था।
 
रात-दिन पूरा बीत जाने के कारण वह परेशान हो गया और बेल के पत्ते तोड़कर नीचे फेंकने लगा। उसी पेड़ के नीचे एक शिवलिंग स्थापित था। भील जो पत्ते तोड़कर नीचे फेंक रहा था, वे शि‍वलिंग पर गिर रहे थे, और इस बात से भील पूरी तरह से अनजान था। भील द्वारा लगातार फेंके जा रहे बेल के पत्ते शिवलिंग पर गिरने से भगवान शिव प्रसन्न हुए और अचानक डाकू के सामने प्रकट हो गए। भगवान शि‍व ने भील डाकू से वरदान मांगने के लिए कहा, और भील का उद्धार किया। बस उसी दिन से भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने का महत्व और अधिक बढ़ गया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बहन क्यों बांधती है रक्षाबंधन पर राखी, जानिए 5 खास कारण