श्रावण सोमवार व्रत के प्रचलन की 2 पौराणिक कथाएं

Webdunia
श्रावण शब्द श्रवण से बना है जिसका अर्थ है सुनना। अर्थात सुनकर धर्म को समझना। वेदों को श्रुति कहा जाता है अर्थात उस ज्ञान को ईश्वर से सुनकर ऋषियों ने लोगों को सुनाया था। यह महीना भक्तिभाव और संत्संग के लिए होता है। श्रावण सोमवार या श्रावण माह के संबंध में पुराणों में बहुत कुछ मिलता है। यहां दो कथाएं संक्षिप्त में।

 
1.पहली पौराणिक कथा:- भगवान परशुराम ने अपने आराध्य देव शिव की इसी माह नियमित पूजन करके कांवड़ में गंगाजल भरकर वे शिव मंदिर ले गए थे और उन्होंने वह जल शिवलिंग पर अर्पित किया था। अर्थात कांवड़ की परंपरा चलाने वाले भगवान परशुराम की पूजा भी श्रावण मास में की जाती है।

भगवान परशुराम श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को कांवड़ में जल ले जाकर शिव की पूजा-अर्चना करते थे. शिव को श्रावण का सोमवार विशेष रूप से प्रिय है. श्रावण में भगवान आशुतोष का गंगाजल व पंचामृत से अभिषेक करने से शीतलता मिलती है। कहते हैं कि भगवान परशुराम के कारण ही श्रावण मास में शिवजी का व्रत और पूजन प्रारंभ हुआ।

 
2. दूसरी पौराणिक कथा: - इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा, तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।

अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया जिसके बाद से ही महादेव के लिए यह माह विशेष हो गया।

ALSO READ: क्यों खास है चौथा श्रावण सोमवार, जानें पूजन का समय और विधि

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

29 मार्च 2025 को बन रहे हैं 6 अशुभ योग, 5 राशियों को रहना होगा सतर्क, करना होंगे 5 उपाय

गुड़ी पड़वा 2025: खुशियों और उमंग से भरे इन गुड़ी पड़वा शायरी और संदेशों से बढ़ाएं त्योहार की रौनक

गुड़ी पड़वा पर क्यों खाई जाती है कड़वी नीम और गुड़, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

चैत्र नवरात्रि में घर के वास्तु दोष दूर करने के लिए करिए ये सरल उपाय, मां दुर्गा की बरसेगी कृपा

चैत्र नवरात्रि 2025: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से हर क्षेत्र में होगी विजय

सभी देखें

धर्म संसार

वारुणि पर्व कब है और क्यों मनाया जाता है यह त्योहार?

उज्जैन के इस शक्तिपीठ पर राजा विक्रमादित्य ने 11 बार देवी को अर्पित किया था अपना शीश, जानिए मंदिर से जुड़े रहस्य

Aaj Ka Rashifal: आज किन राशियों को मिलेगी हर कार्य में सफलता, जानें 26 मार्च का दैनिक राशिफल

26 मार्च 2025 : आपका जन्मदिन

अगला लेख