Sawan posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

23 जुलाई को शिवरात्रि का महापर्व, जानिए शिवलिंग पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

Advertiesment
हमें फॉलो करें Shivratri of Sawan month

WD Feature Desk

, सोमवार, 21 जुलाई 2025 (16:42 IST)
सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि का महापर्व मनाया जाता है। इस बार यह शिवरात्रि 23 जुलाई 2025 को बुधवार के दिन रहेगी।। आओ जानते हैं कि शिवरात्रि के दिन क्या है शिव पूजा का शुभ मुहूर्त समय, पूजन विधि और इस दिन का महत्व।
 
  • प्रात: पूजा मुहूर्त: 04:15 से 05:37 के बीच।
  • अमृत काल: सुबह 08:32 से 10:02 के बीच।
  • शाम की पूजा का मुहूर्त: शाम को 07:17 से 08:20 के बीच।
  • चतुर्दशी तिथि: मध्यरात्रि 02:28 (जुलाई 24) तक।
 
4. महत्व: चतुर्दशी (चौदस) के देवता हैं शंकर। इस तिथि में भगवान शंकर की पूजा करने से मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों को प्राप्त कर बहुत से पुत्रों एवं प्रभूत धन से संपन्न हो जाता है। हर माह की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि आती है, परंतु श्रावण माह की शिवरात्रि महत्वपूर्ण होती है क्योंकि श्रावण माह शिवजी का माह है। लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है, जिसे बड़े ही हषोर्ल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाता है। शिवरात्रि बोधोत्सव दिवस भी कहते हैं। अर्थात ऐसा महोत्सव, जिसमें अपना बोध होता है कि हम भी शिव का अंश हैं, उनके संरक्षण में हैं।
 
ऐसा कहा जाता है कि मासिक शिवरात्रि व्रत रखने और भगवान शिव की सच्चे मन से पूजन-अर्चन करने वाले भक्तों की सभी मनोमनाएं पूरी होती हैं। जो कन्याएं मनोवांछित वर पाना चाहती हैं, इस व्रत को करने के बाद उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर मिलता है। विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन की शिवरात्रि मनुष्‍य के सभी पाप को नष्ट कर देती है. ऐसे में सावन की शिवरात्रि का बड़ा ही महत्‍व है क्‍योंकि इसमें व्रत रखने वालों के पाप का नाश होता है।
 
5. मंत्र: ॐ नम: शिवाय नम: या ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
 
प्रहर के 4 मंत्र- 'ॐ हीं ईशानाय नम:' 'ॐ हीं अधोराय नम:' 'ॐ हीं वामदेवाय नम:' और 'ॐ हीं सद्योजाताय नम:' मंत्र का जाप करना करें।
 
6. पूजा सामग्री: भगगवान शिव की पूजा के लिए साफ बर्तन, देसी घी, फूल, पांच प्रकार के फल, पंचमेवा, जल, पंचरस,चंदन, मौली, जनेऊ, पंचमेवा, शहद, पांच तरह की मिठाई, बेलपत्र, धतूरा, भांग के पत्ते, गाय का दूध, चंदन, धूप, कपूर, मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री, दीपक, बेर, आदि लेना चाहिए।
 
शिव पूजा की विधि:
  • शिवरात्रि के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
  • शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
  • उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।
  • फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं। मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेल की पत्तियां चढ़ाएं। माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
  • इसके बाद उनके समक्ष धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।
  • इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
  • पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें।
  • पूजा समाप्त होते ही प्रसाद का वितरण करें।
  • शिव पूजा के बाद शिवरात्रि व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।
  • व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
  • दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें।
  • संध्याकाल में पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

हरियाली तीज का व्रत कब रखा जाएगा, पूजा का समय क्या है?