वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥
निर्माता और निर्देशक रामानंद सागर के श्री कृष्णा धारावाहिक के 3 मई के प्रथम एपिसोड में श्री कृष्ण भक्ति, भक्त और उनकी लीला के संबंध में बताया जाता है। किस तरह कलियुग में उनके भक्तों ने उनके जीवन चरित्र और लीला का प्रचार-प्रसार किया यह बताया जाता है। इसी बीच श्रीकृष्ण जीवन की एक झांकी प्रस्तुत की जाती है। श्री राधा से श्रीकृष्ण के विछोह को बताया जाता है।
इसके बाद श्रीकृष्ण का वह जीवन बताया जाता है जो महाभारत से जुड़ा है। कुरुक्षेत्र में विराट रूप और गीता का ज्ञान से लेकर उनके निज धाम जाने तक के घटनाक्रम को बताया जाता है।
बाद में श्रीमद्भगवत कथा सुनाते हुए वेद व्यास के पुत्र सूतजी को बताया जाता है। इसमें राजा परीक्षित को शाप और कलियुग की बात का वर्णन किया जाता है।
रामानंद सागर के श्री कृष्णा धारावाहिक में जो कहानी नहीं मिलेगी वह हमारे स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें...
वेबदुनिया श्री कृष्णा
जंगल में राजा परीक्षित की मुलाकात कलियुग से होती है। दोनों के बीच संवाद होता है। परीक्षित कहते हैं कि तुम मेरे राज्य में नहीं रह सकते मैं तुम्हारा नाश कर दूंगा। कलियुग समझाता है कि राजन! आपका वचन भी रह जाए और मेरा कार्य भी अत: आप मुझे वह स्थान बताएं जहां में शरण में रह सकूं।
परीक्षित कहते हैं कि जहां जुआ खेला जाता हो, जहां मदिरापान होता है, जहां परस्त्री गमन होता हो और जहां हिंसा होती हो, वहीं तुम रहो। कलियुग कहता है कि यह चारों सीमित है। तब परीक्षित कहते हैं कि अत: तब तुम स्वर्ण में भी रहो। यह सुनकर कलियुग राजा के मुकुट में जाकर बैठ जाता है।
फिर उस दिन परीक्षित शिकार के लिए बहुत भटके लेकिन कहीं शिकार नहीं मिला। अंत में वे प्यास बुझाने के लिए भटकते हुए ऋषि शमिक के आश्रम में पहुंच जाते हैं जहां ऋषि समाधी में लीन मिलते हैं।
राजा ने ऋषि से कहा कि हमें प्यास लगी है हमें पानी चाहिए, लेकिन ऋषि तो समाधी में थे। राजा परीक्षित ने कई बार ऋषि से पानी मांगा, लेकिन ऋषि ने कोई जवाब नहीं दिया। उस वक्त राजा के मुकुट में कलियुग बैठा था राजा को क्रोध आया और उन्होंने उनका वध करने के लिए धनुष पर बाण चढ़ा दिया, लेकिन संस्कारवश उन्होंने खुद को ऋषि की हत्या करने से रोक लिया। तब उन्होंने वहां मरे पड़े एक सांप को महर्षि शमिक के गले में डाल दिया और वहां से चले गए।
उस शमिक ऋषि का किशोर पुत्र श्रृंगी एक नदी में स्नान कर रहा था। उसके साथियों ने उसे बताया कि किस तरह राजा पारीक्षित ने उनके पिता के गले में सर्प डाल दिया। श्रृंगी को क्रोध आ गया और वह नदी से अंजुली में जल भरकर राजा को शाप देता है कि आज से 7वें दिन उस राजा को तक्षक नाम का सांप डंसेगा और वह मर जाएगा।
बाद में शमिक ऋषि की समाधी खुलती है तो वे पूछते हैं कि यह सांप कहां से आया? फिर उन्हें उनका पुत्र श्रृंगी सारा किस्सा बताता है। यह सुनकर शमिक ऋषि अपने पुत्र से कहते हैं कि तुमने बिना जाने ही उन्हें दंड दे दिया वत्स, तुमने एक छोटीसी भूल के लिए इतना भयानक शाप दे दिया। वह राजा वैदिक ऋषियों की रक्षा करने वाला और आर्य धर्म व प्रजा को संवरक्षण देने वाला है। उसके मारे जाने से राज्य में अत्याचार और अनाचार बढ़ेगा और इस घोर पाप का दोष तुम्हें भी लेगा। जय श्री कृष्णा।
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