श्रावण मास में दान, पुण्य एवं पूजा-भक्ति करने से अनन्य फल प्राप्त होता है। यदि मनुष्य कर्तव्य के साथ-साथ प्रभु की भक्ति या पूजा के लिए थोड़ा-बहुत भी समय निकाल लेता है, तो उसके जीवन का उद्धार हो जाता है। विशेषकर श्रावण मास में...। पूरे श्रावण माह में शिवजी का पार्थिव पूजन करें तो इस जन्म के साथ-साथ कई जन्मों का कल्याण हो जाता है।
कैसे करें पार्थिव पूजन :-
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विधि : पार्थिव पूजन के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा में मुंह करके बैठ जाएं। पूजन की सामग्री अपने पास रख लें। अच्छी मिट्टी भी पास रखें। हो सके तो भस्म का त्रिपुण्ड लगाकर बैठें। पवित्री धारण कर आचमन-प्राणायाम करें।
3 बार - ॐ केशवाय नम:। ॐ नारायणाय नम:। ॐ माधवाय नम:- मंत्र का जाप करें ।
आचमन के पश्चात दाहिने हाथ के अंगूठे के मूल भाग से ॐ ऋषिकेशाय नम:, ॐ गोविन्दाय नम: कहकर होठों को पोंछ लें एवं हाथ धो लें। इसके बाद बाएं हाथ से जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर और पूजा सामग्री पर जल छिड़क लें। यह बोलकर- ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां- गतोऽपि वा।
अभिषेक- पार्थिव लिंग पर महिम्न स्तोत्र या वैदिक रुद्र सूक्त से या घर पर कर रहे हों तो नम: शिवाय की माला से अभिषेक करें। फिर गन्धोदक स्नान- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, गन्धोदक स्नान समर्पयामि।
फिर- ताम्बुल फलं हिरण्यगर्भ दक्षिणां समर्पयामि। इसके बाद प्रभु शिवजी की आरती करें।
आरती- ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, आरर्तिक्यं समर्पयामि। (आरती करके जल गिराएं)
फिर मंत्र पुष्पांजलि
ॐ नम: शिवाय, श्री भगवते साम्बसदाशिवाय नम:, मंत्र पुष्पांजलि समर्पयामि। (फूल चढ़ा दें)
इसके बाद प्रदक्षिणा करें, प्रदक्षिणा के बाद क्षमा-प्रार्थना करें।
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां नैव हि जानामि क्षमस्त परमेश्वर। ।
फिर विसर्जन, विसर्जन के बाद समर्पण जल छोड़ें।
अनेन शिवपूजकर्मणा श्री यज्ञस्वरूप: शिव: प्रीयताम् न मम। पूजन कर्म समाप्त करें।
विशेष- उपरोक्त पूजन संक्षिप्त में घर पर ही प्रतिदिन कर सकते हैं। पूजन करने से पहले समस्त सामग्री अपने पास रख लें, जैसे- आरती की थाली, दीपक, अगरबत्ती, फूल, फूलमाला, पंचामृत, शुद्ध जल, घी, शहद, धतूरा, दूर्वा, कुशा आदि। पूजन करते समय पूर्ण ध्यान दें। शिवजी अवश्य आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगे।