इस माह में नदी-नाले,कुएं-तालाब जल से भर जाते हैं। पहाडी इलाकों में पानी झरने के रूप में बह निकलता है। सूखे पेड़ हरे हो जाते हैं। जीव जन्तुओं के लिए भी यह मौसम राहत और आनंद से भरा होता है। सावन में हर तरफ शीतल मंद पवन के झोंके मन को मस्ती का अहसास करवाते हैं। ऐसा लगता है कि हर कोई प्रकृति से जुड़ जाना चाहता है। शायद यही कारण है कि सावन मास में धार्मिक एंव पर्यटन सम्बन्धी गतिविधियां बढ़ जाती हैं।
कावड़ में पवित्र नदी का जल भरकर भगवान शिव के मंदिर तक पदयात्रा करनेवालों में बच्चे,बजुर्ग,महिलाएं भी शामिल होती हैं।
सावन मास में कावड़ यात्रियों के दल उज्जैन,ओंकारेश्वर,बनारस,नासिक,देवधर,इलाहबाद,हरिद्वार,सोमनाथ,रामेश्वरम के रास्ते पर खूब देखे जा सकते हैं।
देश प्रदेश ही नहीं विदेश में भी भगवान शिव में अपार श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालुजन बडी संख्या में मौजूद हैं। भगवान शिव के सहस्त्र से अधिक नाम होने का उल्लेख वेद,पुराण में मिलता है। भारत में भगवान शिव अपने चाहने वाले भक्तों के मन मंदिर से लेकर घर-घर,गांव-गांव,नगर-नगर,महानगर में अलग अलग नाम से प्रतिष्ठित होकर विराजित हैं। वंदनीय हैं। जन-मन भावन भगवान शिव की उपासना के लिए 12 ज्योतिर्लिंग महत्वपूर्ण माने गए हैं।
भगवान शिव श्री महाकाल स्वरूप में मध्यप्रदेश के प्राचीन और धार्मिक शहर उज्जैन में विराजित हैं,इसीलिए उज्जैन को भगवान श्री महाकाल की नगरी भी कहा जाता है। उज्जैन की पहचान न्यायप्रियता,उदारता,बहादुरी,के पर्याय माने जाने वाले धर्मप्रेमी सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी के रूप में भी इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों में दर्ज है। प्राचीन काल में इस शहर को अवन्तिका के नाम से जाना जाता था। इसका उल्लेख प्राचीन धर्मग्रन्थों में मिलता है।
धर्म के प्रति आस्थावान नागरिकों की मान्यता यह है कि आज भी उज्जैन शहर में भगवान शिव राजाधिराज महाकाल महाराज के स्वरूप् में साक्षात निवास करते हैं। समय इस बात का साक्षी है कि भक्तों ने गहरी श्रद्धा भावना से अपने आराध्य भगवान से जो मांगा वह उनको मिला है।
दाता अवन्तिका नाथ से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नहीं हुई। वो दयालु तो बस देने के लिए ही बैठा है। जरूरत केवल हमें प्रभु की कृपा के लिए पात्र बनने की है। उसकी कृपा के लिए पात्र बनकर हम जो चाहेगें वही हमें परमेश्वर उपलब्ध कराएगा। माध्यम चाहे कोई बने लेकिन प्रभुकृपा से आपकी प्रार्थना अवश्य पूर्ण होगी,यह निश्चित है।
सावन,महाकाल और उज्जैन इन तीनों का संयोग मन,नयन को जो सुख देता है वह अवर्णनीय है। उसका स्वंय अनुभव करना ही बेहतर है। सावन के सुहाने दिन ऐसे हैं जिनका राजाधिराज भूतभावन महाकाल महाराज के भक्तों को साल भर उत्साह से इंतजार रहता है। सावन में शिवभक्ति और शिवभक्तों का उत्साह देखते ही बनता है।
मस्ती का माहौल,भंग की तरंग में झूमते-नाचते-गाते,महाकाल का जयघोष करते,भक्तिगीत गाते गुनगुनाते भक्तों का समूह न केवल महाकाल मंदिर परिसर या उसके आसपास बल्कि पूरे उज्जैन शहर में हर कहीं चौक-चौराहे पर देखा जा सकता है।
सावन में महीने में उज्जैन के निवासियों को बाहर से आनेवाले अपन स्नेहीजनों-रिश्तेदारों का भी इंतजार रहता है क्योंकि जो साल भर उज्जैन में नही आते वे भी सावन के महीने में यहां आकर महाकाल भगवान को प्रणाम जरूर करते हैं। इन दिनों उज्जैन में बस हर जगह जय महाकाल की धूम और उनकी कृपा की चर्चा सुनाई देती है।
यहां यह बताना भी जरूरी होगा कि भगवान महाकाल हिन्दू समुदाय ही नहीं बल्कि उज्जैन में रहनेवाले हर धर्म-जाति-सम्प्रदाय के लोगों के लिए वंदनीय हैं। वहां रहने वाले हर खास और आम आदमी की जुबां से भगवान महाकाल का नाम पूरे सम्मान के साथ सुनने को मिलता है। भगवान महाकाल के दीवाने मस्ताने भक्तों की टोली जब निकलती है तो हिन्दू,मुसलमान,सिख,ईसाई,बोहरा सहित विविध धर्मो के प्रतिनिधि हर्ष उल्लास के साथ स्वागत करते है। हजारों हजार भक्तों का सैलाब भगवान महाकाल का आशीर्वाद पाने के लिए पूरे सावन मास उज्जैन नगर में उमड़ पड़ता है। प्रशासन की ओर से भी भक्तों की सुविधा,सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं।
यकीन मानिए सावन में पापनाशिनी,पुण्यफलदायिनी अवन्तिका नगरी में महाकाल महाराज का दर्शन आपके जीवन मे सुख,समृद्धि,शांति,प्रगति को बढ़ा सकता है। जरूरत बस भक्ति भाव के साथ उज्जैन आने, श्री महाकाल का दर्शन कर उनकी कृपा को महसूस करने की है। श्रायवण सोमवार को राजाधिराज महाकाल महाराज पूरे लाव लष्कर के साथ अपनी प्रजा का हाल जानने भक्तों पर कृपा बरसाने निकल रहे हैं। प्रभुकृपा की अमृतवर्षा सावन में आपको अधिक आनंदित करेगी ऐसा विश्वास है।
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