मोक्ष के दाता हैं 'शिव'

शिव को विष्णु ने अर्पण किया था नेत्र

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भगवान आशुतोष ही मोक्ष के दाता हैं। उनकी कृपा के बगैर साधक को तत्वज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। भगवान शिव ही ज्ञान के साक्षात स्वरूप हैं। श्रावण मास के उपलक्ष्य में आयोजित शिव महापुराण के वाचन में ब्रह्मचारी चैतन्यानंद महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को शिव की शक्ति की कथा का रसपान कराया।

चैतन्यानंद ने कथा सुनाते हुए बताया कि भगवान विष्णु ने एक समय शिव पूजन के दौरान कमल के सहस्त्र पुष्पों से अर्चन करने का मन बनाया। पूजन के लिए सहस्त्र कमल लाए गए। फिर भगवान विष्णु ने शिव का पूजन-अर्चन प्रारंभ किया।

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जब वे कमल पुष्प चढ़ा रहे थे, तो भगवान शिव ने उनकी परीक्षा के लिए एक कमल का पुष्प अपनी माया से अदृश्य कर दिया। पूजा में एक कमल पुष्प कम होने से भगवान विष्णु चिंतित हो उठे।

तब उन्हें अपने स्वरूप का बोध हुआ कि भगवान शिव मुझे कमल नयन कहते हुए मेरा ध्यान करते हैं, क्यों न मैं अपना नेत्र ही चढ़ा दूँ। जैसे ही भगवान विष्णु अपना नेत्र निकालने को उद्यत हुए वैसे ही भगवान शिव ने हाथ पकड़कर रोका और प्रसन्न होकर ऐश्वर्य सम्पन्न होने का वरदान दिया।

इसी प्रकार गुरु शंकराचार्य एवं कालीदास के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि तत्वज्ञान प्राप्त करने इन्होंने शिव की उपासना की। अखिल ब्रह्मांड में मात्र आदिदेव शिव ही तत्वज्ञान देने के अधिकारी हैं।

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