Guru Hargobind Singh: गुरु हरगोविंद सिंह की पुण्यतिथि, जानें अनसुने तथ्य

WD Feature Desk
शनिवार, 13 अप्रैल 2024 (09:50 IST)
Guru Hargobind Singh 
 
• HIGHLIGHTS
• गुरु हर गोबिंद सिंह जी कौन है।
• गुरु हर गोविंद साहिब की पुण्यतिथि।
• सिखों के छठवें गुरु के बारे में जानें। 
 
Guru Hargobind Singh Death Anniversary: आज गुरु हर गोविंद साहिब जी की पुण्यतिथि है। वे एक परोपकारी एवं क्रांतिकारी योद्धा थे।  गुरु हर गोविंद का जीवन-दर्शन जनकल्याण से जुड़ा हुआ है। वे सिख समुदाय में छठवें गुरु है। वे सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन सिंह के पुत्र थे। गुरु हर गोविंद सिंह ने अकाल तख्त का निर्माण किया था। जानें उनके बारे में अनसुने तथ्य-
 
1. गुरु हर गोविंद सिंह जी का जन्म भारत के बडाली/ अमृतसर में हुआ था। उनकी माता का नाम गंगा था। श्री गुरु हर गोविंद सिंह ने अपना अधिकतर समय युद्ध प्रशिक्षण एवं युद्ध कला में लगाया था और बाद में वे कुशल तलवारबाज, कुश्ती व घुड़सवारी में माहिर हो गए। 
 
2. उन्होंने ही सिखों को अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण लेने के लिए प्रेरित किया व सिख पंथ को योद्धा चरित्र प्रदान किया। 
 
3. मीरी पीरी तथा कीरतपुर साहिब की स्थापना की थीं। 
 
4. उन्होंने रोहिला की लड़ाई, कीरतपुर की लड़ाई, हरगोविंदपुर, करतारपुर, गुरुसर तथा अमृतसर- इन लड़ाइयों में प्रमुखता से भागीदारी निभाई थी। वे युद्ध में शामिल होने वाले पहले गुरु थे। 
 
5. उन्होंने सिखों को युद्ध कलाएं सिखाने तथा सैन्य परीक्षण के लिए भी प्रेरित किया था। हर गोविंद जी ने मुगलों के अत्याचारों से पीड़ित अनुयायियों में इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास पैदा किया। 
 
6. मुगलों के विरोध में गुरु हर गोविंद सिंह ने अपनी सेना संगठित की और अपने शहरों की किलेबंदी की। उन्होंने 'अकाल बुंगे' की स्थापना की। 'बुंगे' का अर्थ होता है एक बड़ा भवन जिसके ऊपर गुंबज हो। 
 
7. उन्होंने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के सम्मुख अकाल तख्त अर्थात् ईश्वर का सिंहासन का निर्माण किया। इसी भवन में अकालियों की गुप्त गोष्ठियां होने लगीं। इनमें जो निर्णय होते थे उन्हें 'गुरुमतां' अर्थात् 'गुरु का आदेश' नाम दिया गया। 
 
8. इस कालावधि में उन्होंने अमृतसर के निकट एक किला बनवाया तथा उसका नाम लौहगढ़ रखा। दिनोंदिन सिखों की मजबूत होती स्थिति को खतरा मानकर मुगल बादशाह जहांगीर ने उनको ग्वालियर में कैद कर लिया। 
 
9. गुरु हर गोविंद 12 वर्षों तक कैद में रहे, इस दौरान उनके प्रति सिखों की आस्था और अधिक मजबूत होती गई। वे लगातार मुगलों से लोहा लेते रहे। 
 
10. कैद से रिहा होने पर उन्होंने शाहजहां के खिलाफ बगावत कर दी और संग्राम में शाही फौज को हरा दिया। 
 
11. अपनी मृत्यु से ठीक पहले गुरु हर गोविंद ने अपने पोते गुरु हरराय को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। 
 
12. उन्होंने कश्मीर के पहाड़ों में शरण ली, जहां सन् 1644 ई. में कीरतपुर, पंजाब में उनकी मृत्यु हो गई।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

ALSO READ: बैसाखी कब है, कैसे मनाते हैं यह पर्व?

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vasumati Yog: कुंडली में है यदि वसुमति योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम जयंती पर कैसे करें उनकी पूजा?

मांगलिक लड़की या लड़के का विवाह गैर मांगलिक से कैसे करें?

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम का श्रीकृष्ण से क्या है कनेक्शन?

Akshaya-tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन क्या करते हैं?

Aaj Ka Rashifal: पारिवारिक सहयोग और सुख-शांति भरा रहेगा 08 मई का दिन, पढ़ें 12 राशियां

vaishkh amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर कर लें मात्र 3 उपाय, मां लक्ष्मी हो जाएंगी प्रसन्न

08 मई 2024 : आपका जन्मदिन

08 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Akshaya tritiya : अक्षय तृतीया का है खास महत्व, जानें 6 महत्वपूर्ण बातें

अगला लेख