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Guru Ram Das Jayanti 2025: चौथे सिख गुरु, गुरु रामदास जी की जयंती, जानें उनके बारे में रोचक बातें

WD Feature Desk
बुधवार, 8 अक्टूबर 2025 (10:07 IST)
Guru Ram Das Gurpurab: सिख धर्म के चौथे गुरु, श्री गुरु रामदास जी का प्रकाश पर्व/ जयंती सिख समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण और पावन पर्वों में से एक है। निस्वार्थ सेवा, विनम्रता और भक्ति के प्रतीक गुरु रामदास जी ने न केवल 'रामदासपुर' (जो आज अमृतसर के नाम से विख्यात है) शहर की स्थापना की, बल्कि उन्होंने श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) की नींव भी रखी।ALSO READ: गुरु हर गोविंद सिंह की जयंती, जानें महान सिख धर्मगुरु के बारे में 7 अनसुनी बातें
 
सिख कैलेंडर के मतानुसार वर्ष 2025 में गुरु रामदास जयंती 8 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह विशेष दिन हमें उनके महान जीवन, अनमोल उपदेशों और समाज के प्रति उनके अतुलनीय योगदान को याद करने का अवसर देता है।

आइए, इस पावन अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातों और महत्वपूर्ण संदेशों के बारे में जानें... 
 
1. बचपन का संघर्ष और गुरु परंपरा: 
सिखों के चौथे गुरु, श्री गुरु रामदास जी का जन्म 1534 ई. में चूना मंडी, लाहौर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। गुरु रामदास जी के बचपन यानी मूल नाम भाई जेठा जी था। वे बहुत कम उम्र (लगभग 7 वर्ष) के थे, तभी उनके माता-पिता के देहांत के बाद उनका पालन-पोषण उनकी नानी ने किया था। गरीबी में पले-बढ़े होने के कारण, उन्होंने जीवन के दुखों को करीब से महसूस किया था।
 
2. अमृतसर शहर के संस्थापक: उन्होंने अमृतसर शहर की स्थापना की थी। अमृतसर को पहले रामदासपुर के नाम से जाना जाता था, जिसे उन्होंने एक छोटे से कस्बे के रूप में स्थापित किया था। उन्होंने ही अमृतसर में पवित्र सरोवर की खुदाई का कार्य शुरू करवाया था, जिसका नाम 'अमृत सरोवर' (अमृत का ताल) है। इसी से शहर का नाम अमृतसर पड़ा।
 
3. गुरु गद्दी (गुरु पद) की प्राप्ति: गुरु रामदास जी को उनकी निस्वार्थ सेवा, विनम्रता, और भक्ति के कारण गुरु अमरदास जी (तीसरे सिख गुरु) ने अपना उत्तराधिकारी चुना था। वे गुरु अमरदास जी के दामाद थे। उनका विवाह गुरु अमरदास जी की बेटी बीबी भानी जी से हुआ था। गुरु अमरदास जी ने ही उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनका नाम 'जेठा' से बदलकर 'रामदास' रखा था।
 
4. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिख धर्म का प्रचार: गुरु रामदास जी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सिख धर्म के प्रचार-प्रसार में एक महान हस्ती (किंवदंती) के रूप में भी जाना जाता है।
 
उन्होंने सिख समुदाय के लिए धन संग्रह और प्रशासनिक कार्यों के लिए 'मंजी संगठन' का विस्तार किया, जो सिख धर्म की आर्थिक और आध्यात्मिक नींव को मजबूत करने में सहायक सिद्ध हुआ।
 
5. वंश परंपरा: उन्होंने अपने सबसे छोटे पुत्र गुरु अर्जन देव जी को पांचवें गुरु के रूप में नियुक्त किया, जिसके बाद सिख गुरुओं की गद्दी वंश परंपरा में चलने लगी।

6. प्रमुख रचनाएं और योगदान: 
वाणी का संग्रह: उन्होंने 30 रागों में 638 शबद (भजन) और छंदों की रचना की, जिन्हें बाद में उनके पुत्र गुरु अर्जन देव जी ने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया।
 
आनंद कारज: सिखों के पारंपरिक विवाह समारोह, 'आनंद कारज' के दौरान पढ़े जाने वाले चार छंदों (लावां) की रचना भी गुरु रामदास जी ने ही की थी।
 
सत्य के उपदेश: उन्होंने लोगों को सच्चाई के मार्ग पर चलने और विनम्रता व सेवा के मूल्यों को जीवन में उतारने की शिक्षा दी।

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