घनैया जी कि इस सेवा से नाराज हो कर गुरु जी की सेना के कुछ लोग गुरु साहिब जी के पास पहुंचे और कहा कि भाई घनैया जी अपनी सेना के साथ-साथ दुश्मनों को भी पानी पिला रहे हैं। उन्हें रोका जाए। गुरु गोविंद सिंह जी ने भाई घनैया जी को बुलाया और कहा- तेरी शिकायत आई है।
भाई घनैया जी ने शिकायत सुनी और कहा, गुरु साहिब जी! मैं क्या करूं... मुझे तो जंग के मैदान में कोई नजर ही नहीं आता। मैं जहां भी देखता हूं, मुझे सिर्फ आप नजर आते है और मैं जो भी सेवा करता हूं वो सब आपकी ही होती है।
उन्होनें कहा गुरु साहिब जी आपने कभी भेदभाव करने का पाठ सिखाया ही नहीं। गुरु गोविंद सिंह जी भाई घनैया जी की बात सुनकर बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा कि भाई घनैया जी आप गुरु घर के उपदेशों को सही मायने में समझ गए हैं।