'सिंहस्थ' में विद्युत की अद्वितीय व्यवस्था

Webdunia
- विवेक रंजन श्रीवास्तव 
 
इस बार सिंहस्थ मेला में बढ़ती आबादी और धार्मिक आस्था के चलते करोड़ों लोगों के पहुंचने का अनुमान है। देश में जब-जब भारी भीड़ किसी भी आयोजन में एकत्रित होती है तो भीड़ का प्रबंधन प्रशासन के लिए एक चुनौती होता है। आतंक के बढ़ते खतरे के तथा किसी दुर्घटना की संभावना के बीच सुरक्षित आयोजन संपन्न करवाना स्थानीय प्रशासकीय व्यवस्था की दक्षता प्रदर्शित करता है। 
सिंहस्थ मेला के सुरक्षित आयोजन के लिए बचाव की आकस्मिक आपात व्यवस्था आवश्यक होती है। स्वयं मुख्यमंत्री तथा प्रमुख सचिव उज्जैन के इस वैश्विक आयोजन की तैयारियों में जुए हुए हैं। बिजली की निर्बाध आपूर्ति किसी भी आयोजन की सफलता हेतु आज अति आवश्यक हो चुकी है। उज्जैन सिंहस्थ तेज गर्मी में होने को है, अतः न केवल प्रकाश वरन शीतलीकरण हेतु भी बिजली की जरूरत पड़ेगी। क्षिप्रा में पर्याप्त जल आपूर्ति हेतु 'नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना' की स्वीकृति दी गई। 
 
इस परियोजना की कामयाबी से महाकाल की नगरी में पहुंची हैं 'मां नर्मदा'। इससे क्षिप्रा नदी को नया जीवन मिलने के साथ मालवा अंचल को गंभीर जल संकट से स्थाई निजात हासिल होने की उम्मीद है। नर्मदा के जल को बिजली के ताकतवर पंपों की मदद से कोई 50 किलोमीटर की दूरी तक बहाकर और 350 मीटर की ऊंचाई तक लिफ्ट करके क्षिप्रा के प्राचीन उद्गम स्थल तक  इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर उज्जैनी गांव की पहाड़ियों पर जहां क्षिप्रा  लुप्तप्राय: है, लाने की व्यवस्था की गई है। 
 
नर्मदा नदी की औंकारेश्वर सिंचाई परियोजना के खरगोन जिले स्थित सिसलिया तालाब से पानी लाकर इसे क्षिप्रा के उद्गम स्थल पर छोड़ने की परियोजना से नर्मदा का जल क्षिप्रा में प्रवाहित होगा और तकरीबन 115 किलोमीटर की दूरी तय करता हुआ धार्मिक नगरी उज्जैन तक पहुंचेगा। 'नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना' की बुनियाद 29 नवंबर 2012 को रखी गई थी।
 
इस परियोजना के तहत चार स्थानों पर पम्पिंग स्टेशन बनाए गए हैं। इनमें से एक पम्पिंग स्टेशन 1,000 किलोवॉट क्षमता का है, जबकि तीन अन्य पम्पिंग स्टेशन 9,000 किलोवॉट क्षमता के हैं। इनके सुचारू संचालन के लिए भी पर्याप्त अबाध बिजली की आपूर्ति जरूरी है, जिसकी विशेष व्यवस्था की जा चुकी है। 
 
सिंहस्थ क्षेत्र में प्रतिदिन 100 मेगावॉट बिजली की खपत का अनुमान है जिसके लिए  चार 33/11 किलो वोल्ट के सबस्टेशन शेखपुर, ज्योतिनगर, रतढिया, भैरवगढ़ अपडेट किए जा चुके हैं जिनसे 50 फीसदी बिजली सप्लाई होगी जैसे ही किसी भी सब स्टेशन में फाल्ट आएगा, सेकंड सिस्टम एक्टिवेट होकर स्वतः संचालित प्रणाली से सप्लाई देने लगेगा। 
 
यदि चारों सब स्टेशन से सप्लाई भी बंद हो गई तो सिंहस्थ में 50 ऑटोमेटिक साइलेंट डीजल जनरेटर वैकल्पिक रूप से स्थापित किए गए हैं जो काम करने लगेंगे और 13 सेकंड में ही सिंहस्थ के प्रमुख मार्ग को रोशन कर देंगे, सामान्य जरूरत की 20 फीसदी बिजली इनसे पैदा होगी। पूरे सिंहस्थ क्षेत्र में केबलीकरण के साथ प्रचुर मात्रा में वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं जिससे कोई भी ट्रांसफार्मर ओवर लोड न होने पावे, फिर भी व्यवस्था है कि किसी क्षेत्र में सप्लाई ब्रेक होते ही फॉल्ट स्काडा सिस्टम आइडेंटीफाई करेगा, टेक्नीशियन अगले तीन मिनट में उसे ठीक करेगा। 
 
स्काडा बिजली फॉल्ट को पकड़ने का अत्याधुनिक सिस्टम है इसमें कम्प्यूटर प्रणाली के जरिए फाल्ट के पिन पाइंट स्थान और वजह चिन्हित हो जाती है। वायरलेस से सूचना दी जावेगी और अलग-अलग क्षेत्रों में तैनात 150 से अधिक टेक्नीशियन में से संबंधित कर्मचारी तुरंत ही में खराबी को ठीक करने पहुंचेंगे।  
 
जुलाई 2012 में हुए नार्दन ग्रिड फेलियर से सबक लेकर बिजली कंपनी ने इस तरह के किसी बड़े आकस्मिक आपूर्ति खतरे से निपटने का भी इंतजाम किया है। बिजली कंपनी ने इमरजेंसी में गांधी सागर हाइडिल पॉवर प्लांट को 24 घंटे चालू रखने की तैयारी की है।  यहां से करीब 22 मेगावॉट बिजली पैदा हो रही है। फेलियर के वक्त गांधीसागर से उज्जैन के बीच अलग बिजली लाइन के जरिए 10 मिनट में बिजली बैकअप मिल पाएगा। मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी ने जबलपुर से एक्सपर्ट अभियंताओं की टीम भेजी है। 
 
अनुमान है कि लगभग 200 मेगावॉट के करीब बिजली सिंहस्थ के लिए लगेगी जिसका  मूल्य 65 करोड़ होगा। नवकरणीय व वैकल्पिक ऊर्जा की भी जगह-जगह किंचित यथा सुविधा यथा आवश्यकता व्यवस्थाएं की गई हैं। सारा प्रशासन इस भव्य आयोजन को निर्विघ्न सफल बनाने हेतु सक्रिय है, और उज्जैन में तथा विशेष रूप से सिंहस्थ क्षेत्र में निर्बाध विद्युत आपूर्ति का लक्ष्य मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी, मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी एवं मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी, पावर मैनेजमेंट कंपनी तथा समूचे मप्र ऊर्जा मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। ये सारी व्यवस्थाएं अद्वितीय हैं। 
(लेखक विद्युत मंडल में अधीक्षण अभियंता हैं) 
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