अंकपात के निकट शिप्रा तट के तीरे मंगलनाथ का मंदिर है। मत्स्य पुराण में लिखा है कि 'अवन्त्यांच कुजोजातों मगधेच हिमाशुन:'। तथा संकल्प में अवन्तिनदेशोतभव भो भोम' इत्यादि अनेक प्रमाणों से मंगल की जन्मभूमि उज्जैन जानी जाती है। ('यत्रहि मंगल जनिभू: सावती मंगल स्थिते र्हेतु:')।
यहां मंगल की उत्पत्ति हुई है अत: सर्वदा मंगल ही होता रहता है। संभवत: कभी मंगल ग्रह की खोज यहां से हुई होगी, ऐसी हमारी मान्यता है। यह बड़ा रम्य स्थल है। मंगलवार को दिनभर पूजन रहता है। यात्रा भी होती है। वैशाख मास में यात्रा भी लगती है। मंगलवार की अमावस्या को जनता यहां स्नान-दान कर दर्शन करती है। यहां मंगल की माता पृथ्वी का मंदिर भी है। संभवत: यह पहला मंदिर ही होगा पृथ्वी का मंदिर कहीं और सुनने में नहीं आता। मंगलनाथ में भात पूजा करने से मंगल दोष दूर होते हैं। मंगलनाथ के पास ही अंगारेश्वर का शिवलिंग है इनकी गिनती 84 महादेव में की जाती है। इसी के निकट इंदौर के सरदार किबे साहब का एक बड़ा एवं सुंदर 'गंगा-घाट' है। इस स्थान से शिप्रा का निर्मल जल और प्रकृति के मोहक दृश्य का ऐसा सुंदर-मादक चित्र नेत्र के सामने उपस्थित होता है कि क्षण के लिए अशांत चित्त भी शांत और प्रफुल्लित हो जाता है।