कुंभ में क्यों करते हैं स्नान, पढ़ें महत्व

Webdunia
शरीर की शुद्धि के लिए स्नान का महत्व है। शास्त्रों में 4 प्रकार के स्नान वर्णित हैं- भस्म स्नान, जल स्नान, मंत्र स्नान एवं गोरज स्नान।
 
आग्नेयं भस्मना स्नानं सलिलेत तु वारुणम्।
आपोहिष्टैति ब्राह्मम् व्याव्यम् गोरजं स्मृतम्।।
 
मनुस्मृति के अनुसार भस्म स्नान को अग्नि स्नान, जल से स्नान करने को वरुण स्नान, आपोहिष्टादि मंत्रों द्वारा किए गए स्नान को ब्रह्म स्नान तथा गोधूलि द्वारा किए गए स्नान को वायव्य स्नान कहा जाता है। 
 
अत: स्नान द्वारा ही शरीर शुद्ध होता है। स्नान के उपरांत पूजन करने से शांति प्राप्त होती है एवं मन प्रसन्न रहता है। जब साधारण स्नान करने मात्र से इतना लाभ होता है, तो महाकुंभ जैसे विशिष्ट पर्व पर पवित्र पावन शिप्रा नदी में स्नान करने से कितना पुण्यलाभ होता होगा? 
सिंहस्थ महापर्व में शिप्रा नदी के पवित्र जल में सिंहस्थ कर पुण्यलाभ अर्जित करने का अवसर केवल उन भाग्यशालियों को ही प्राप्त होता है जिन पर महाकाल बाबा भोलेनाथ की कृपा हो।

पवित्र नदियों में स्नान करना महान पुण्यदायक माना गया है। शास्त्रों की मान्यता है कि इनमें स्नान करने से पापों का क्षय होता है। 

शिप्रा का महत्व और कुंभ 
स्कंद पुराण में कहा गया है कि सारे भू-मंडल में शिप्रा के समान कोई दूसरी नदी नहीं है जिसके तट पर क्षणभर खड़े रहने मात्र से ही तत्काल मुक्ति मिल जाती है। शिप्रा की उत्पत्ति के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार- एक बार भगवान महाकालेश्वर भिक्षा हेतु बाहर निकले। कहीं भिक्षा न मिलने पर उन्होंने भगवान विष्णु से भिक्षा चाही, पर भगवान विष्णु ने उन्हें तर्जनी दिखा दी। भगवान महाकालेश्वर ने क्रोधित होकर त्रिशूल से उनकी अंगुली काट दी। उससे रक्तधारा प्रवाहित होने लगी। शिवजी ने अपना कपाल उसके नीचे कर दिया। कपाल भर जाने पर रक्तधारा नीचे बहने लगी, तभी से ये ‍'शिप्रा' कहलाई। 
 
 कहा गया है- 
 
'विष्णु देहात्समुत्पन्ने शिप्रे त्वं पापनाशिनी'

अर्थात 'भगवान विष्णु की देह से उत्पन्न शिप्रा नदी पापनाशनी है।' शिप्रा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मुक्ति की प्राप्ति होती है। सिंहस्थ पर्व पर शिप्रा में स्नान करने का माहात्म्य तो और भी पुण्यदायक है। इस नदी में स्नान करने से धन-धान्य, पुत्र-पौत्र वृद्धि और मन की शांति मिलती है। इस नदी को अशुद्ध करने पर घोर पाप मिलने का भी शास्त्रों में वर्णन है। सिंहस्थ में आए सभी धर्म प्रेमी जनता से निवेदन है कि नदी की शुद्धता और पवित्रता बनाए रखें और नदी दूषित करने के दोष से बचें। 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

हरतालिका तीज का इतना महत्व क्यों है, जानिए क्यों माना जाता है सभी तीजों में विशेष व्रत

गणेश चतुर्थी 2025: बाजार से गजानन की मूर्ति खरीदने से पहले जानिए कैसी होनी चाहिए प्रतिमा

जैन धर्म में त्रिलोक तीज या रोटतीज पर्व कैसे और क्यों मनाते हैं?

2025 में ओणम कब है, जानें शुभ मुहूर्त, कथा, महत्व और इतिहास

कब से होंगे गणेश उत्सव प्रारंभ, क्या है गणपति स्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त, मंगल प्रवेश

सभी देखें

धर्म संसार

Hariyali Teej 2025: हरतालिका तीज की तिथि, पूजा सामग्री, पूजन विधि, कथा और शुभ मुहूर्त सभी एकसाथ

संकट हरते, सुख बरसाते, गणपति सबके काम बनाते: बप्पा का स्वागत करिए उमंग के रंगों से भरे इन संदेशों के साथ

26 अगस्त 2025 : आपका जन्मदिन

26 अगस्त 2025, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

Hariyali Teej 2025: हरतालिका तीज पर पूजा में उपयोग करते हैं 16 तरह की पत्तियां, जानिए इसका राज और लाभ