Solar eclipse on sarvapitri amavasya 2025: 7 सितंबर 2025 रविवार को चंद्र ग्रहण वाले दिन 16 श्राद्ध प्रारंभ हुए थे और अब 21 सितंबर को रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण रहेगा। यह संयोग करीब 100 वर्षों के बाद बना है। यह ग्रहण भारतीय ज्योतिष के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि पर, कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा।
सूर्य ग्रहण समय: भारतीय समयानुसार यह ग्रहण 21 सितंबर को रात्रि करीब 11 बजे से प्रारंभ होकर और तड़के 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। क्षेत्रवार के अनुसार ग्रहण के समय में अंतर रह सकता है।
कहां नजर आएगा ग्रहण: यह सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से न्यूजीलैंड, फिजी, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया का दक्षिण भाग और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह दिखाई नहीं देगा।
सूर्य ग्रहण का भारत पर प्रभाव: यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण है, जिसका अर्थ है कि चंद्रमा सूर्य के केवल एक हिस्से को ही ढकेगा, और सूर्य पूरी तरह से ग्रहण से प्रभावित नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
सर्वपितृ अमावस्या के समय ग्रहण योग एक दुर्लभ घटना है। श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ चंद्र ग्रहण से हुआ और अब इसका समापन सूर्य ग्रहण से हो रहा है। चंद्र ग्रहण तो भारत में नजर आया था परंतु सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। ऐसे में भारत में इसका सूतककाल मान्य नहीं होगा। हालांकि इस ग्रहण के चलते भारत की राजनीति में इसा बुरा प्रभाव रहेगा। यह भारत की जलवायु पर भी नकारात्मक असर डाल रहा है। दोनों के चलते भारत के लोगों में मानसिक बैचेनी और भ्रम की स्थिति बनेगी। घटना और दुर्घटना के योग भी बनेंगे।