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Sarvapitri amavasya 2025: सूर्य ग्रहण और सर्वपितृ अमावस्या का संयोग, श्राद्ध करने का मिलेगा दोगुना फल

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हमें फॉलो करें Sarva Pitru Amavasya 2025

WD Feature Desk

, बुधवार, 17 सितम्बर 2025 (16:43 IST)
Sarva Pitru Amavasya Solar Eclipse 2025: हिंदू धर्म के अनुसार श्राद्ध कर्म का समय पितृ पक्ष के अलाव अमावस्या तिथि, ग्रहण योग, सक्रांति काल, मन्वन्तर, कल्प एवं युग प्रारंभ तिथियां, व्यतिपात योग, वैधृति योग,सम्पात दिवस और अक्षया तिथि पर कर सकते हैं श्राद्ध कर्म। इस बार पितृपक्ष में सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर सूर्य ग्रहण का योग भी है। ऐसे में श्राद्ध कर्म करना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा लेकिन तिथि विशेष में यह ग्रहण जरूर रहेगा।
 
सूर्य ग्रहण और सर्वपितृ अमावस्या का संयोग श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह एक दुर्लभ और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष अवसर होता है। इस दौरान श्राद्ध कर्म करने से पितरों को तृप्ति मिलेगी और जातक को पुण्य फल की प्राप्ति होगी। मान्यता है कि इस संयोग में श्राद्ध करने से सामान्य समय की तुलना में दोगुना या अधिक फल प्राप्त होता है।
 
सूर्य ग्रहण और सर्वपितृ अमावस्या:
  1. सर्वपितृ अमावस्या वह दिन है जब सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, विशेष रूप से पितृपक्ष के अंत में।
  2. सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य की शक्ति कमजोर होती है और पितृ तर्पण का प्रभाव बढ़ता है।
  3. इस संयोग में श्राद्ध, तर्पण, दान और पितृ पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
श्राद्ध का दोगुना फल:
  • शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के समय किए गए श्राद्ध और दान का फल सामान्य से अधिक होता है।
  • पितरों को तर्पण देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे वंशजों को आशीर्वाद देते हैं, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और बाधाओं में कमी आती है।
  • इस समय ब्राह्मण भोजन, दान (जैसे वस्त्र, अन्न, धन), और तर्पण विशेष रूप से फलदायी माने जाते हैं।
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क्या करें:
  • तर्पण करें: पितरों के नाम से तर्पण करें। जल, तिल, कुश और पुष्प को हाथ में लेकर जलार्पण करें। 
  • पिंडादान करें: पिंडदान के लिए तीन पींड बनाकर श्राद्ध कर्म करें।
  • पंचबलि कर्म: कौवे, कुत्ते, गाय, देव, पितर और चींटियों के लिए अलग अगल पत्तल पर भोजन निकालकर उचित स्थान पर रखें।
  • दान-पुण्य: गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन दान करें।
  • मंत्र जाप: पितृ गायत्री मंत्र या "ॐ पितृभ्य: नम:" का जाप करें।
  • ग्रहण नियम: सूतककाल हो तो ग्रहण के समय भोजन, सोना और अन्य निषिद्ध कार्यों से बचें। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें।
सावधानियां:
  • ग्रहण के दौरान मंदिरों में पूजा और स्पर्श वर्जित होता है।
  • गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे कि बाहर न निकलना और तेज धार वाले उपकरणों से बचना।
  • ग्रहण समाप्त होने के बाद घर और पूजा स्थल की शुद्धि के लिए गंगाजल का छिड़काव करें।

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