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सूर्य ग्रहण कब लगेगा और सूतककाल का समय क्या है, कहां आएगा नजर, 12 राशियों पर प्रभाव, देश दुनिया में हलचल

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WD Feature Desk

, शनिवार, 20 सितम्बर 2025 (19:07 IST)
Solar eclipse surya grahan 2025 in india date and time: 21 सितंबर 2025 रविवार के दिन भारतीय समयानुसार रात्रि 10:59 पर सूर्य ग्रहण प्रारंभ होगा जो 03:23 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले प्रारंभ हो जाता है, यानि 21 को दोपहर 11 बजे बाद सूतक काल प्रारंभ हो जाएगा। इस ग्रहण का प्रभाव सबसे ज्यादा न्यूजीलैंड पर रहेगा। 12 राशियों में से 4 राशियों के लिए शुभ, 3 के लिए अशुभ और बाकी 5 के लिए मिलाजुला असर रहेगा। 

सूर्य ग्रहण कब है 2025
तिथि: 21 सितंबर 2025, रविवार अमावस्या तिथि
प्रारंभ: 21 सितंबर, रात 10:59 बजे।
मध्य: 22 सितंबर, 1:11 बजे
समाप्ति: 22 सितंबर, 3:23 बजे
सूर्य-चंद्र: कन्या राशि, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र
दृश्यता: भारत में दृश्य नहीं, इसलिए सूतक मान्य नहीं
 
21 सितंबर 2025 का सूर्य ग्रहण कहां नजर आएगा?
यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए, इसका सूतक काल और धार्मिक प्रभाव भारत में मान्य नहीं होगा। यह ग्रहण मुख्य रूप से न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, फिजी और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में ही नजर आएगा।
सूर्य ग्रहण का 12 राशियों पर प्रभाव:-
01. मेष: शुभ
02. वृषभ: मिलाजुला,  
03. मिथुन: अशुभ
04. कर्क: शुभ
05. सिंह: मिलाजुला
06. कन्या: अशुभ
07. तुला: मिलाजुला 
08.वृश्‍चिक: शुभ
09. धनु: शुभ
10. मकर: मिलाजुला 
11. कुंभ: अशुभ
12. मीन: मिलाजुला
 
सूर्य ग्रहण का धरती पर प्रभाव: 
पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से हुई और इसका अंत सूर्य ग्रहण से हो रहा है जो कि एक अशुभ संकेत माना जा रहा है। 16 दिन के श्राद्ध 15 दिन में परिपूर्ण होना, यह जनमानस के लिए पितृ प्रकोप के रूप में देखा जाता है, जो सुखद नहीं कहा जा सकता। माना जा रहा है कि इस बार का चंद्र और सूर्य ग्रहण देश और दुनिया में तबाही मचा रहा है। प्राकृतिक आपदा, मौसम परिवर्तन, भूकंप, राजनीतिक अस्थिरता तो हम देख ही रहे हैं। कुछ ज्योतिषीय गणनाएं भविष्य में राजनीतिक उथल-पुथल या आर्थिक अस्थिरता का संकेत दे रही है या किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा से तबाही की आशंका जताई जा रही है। 
विगत एक पखवाड़े में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के होने से देश और विदेश में आर्थिक और राजनीतिक हालात विकट चले हैं। आने वाले समय में कृषि, उद्योग, इंजीनियरिंग शिक्षा एवं प्राकृतिक मौसम पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। कई देशों में जनविद्रोह की आग भड़कने की संभावना है। कई देशों में जन और धन की हनि होने की संभावना है। कहते हैं कि चंद्र ग्रहण से जल संबंधी आपदा आती है तो सूर्य ग्रहण से आग संबंधी दुर्घटनाओं का योग बनता है। जल में बादल फटना, समुद्री तूफान और बाढ़ आना। आग में युद्ध, दंगा, एक्सिडेंट, ज्वालामुखी विस्फोट, जंगल की आग आदि। हालांकि दोनों ही प्रकार के ग्रहण बड़े भूकंप जाते हैं।

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