विम्बल्डन में परवान चढ़ा भारतीय टेनिस

Webdunia
- किरण वाईकर
विम्बल्डन को दुनिया की सबसे लोकप्रिय ग्रैंड स्लैम टेनिस स्पर्धा का रुतबा हासिल है और 1877 से प्रारंभ हुई इस स्पर्धा के विभिन्न खिताबों को जीतने के लिए दुनियाभर के खिलाड़ी मशक्कत करते हैं। जब इतनी कड़ी प्रतिस्पर्धा हो तो खिताब जीतना ही सबकुछ नहीं हो जाता है, फाइनल या सेमीफाइनल में पहुँचना भी काबिलेतारीफ बात हो जाती है।

रामनाथन कृष्णन, विजय अमृतराज, रमेश कृष्णन, लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्जा से तो सभी वाकिफ हैं, लेकिन इनके अलावा भी कई ऐसे भारतीय टेनिस खिलाड़ी हैं जिन्होंने विम्बल्डन में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कीं, लेकिन बावजूद इसके वे वांछित प्रचार-प्रसार नहीं पा सके।

टेनिस जगत में 'विम्बल्डन' का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। आधुनिकता की तरफ भागते इस संसार में मार्केट के दबाव के बावजूद इस प्रतिष्ठित टेनिस चैंपियनशिप ने अपनी गौरवशाली परंपराओं को बनाए रखा है, जो प्रशंसनीय है। भारत भले ही इस खेल में रॉड लेवर, पीट सम्प्रास, रॉजर फेडरर, बिली जीन किंग, मार्टिना नवरातिलोवा या स्टेफी ग्राफ जैसे खिलाड़ी पैदा नहीं कर पाया है, लेकिन इसके बावजूद भारत का रिकॉर्ड इस ऐतिहासिक चैंपियनशिप में बहुत अच्छा है।

ऑल इंग्लैंड क्लब से भारत ने कई जूनियर खिताब, बालिका युगल खिताब, पुरुष युगल तथा मिश्रित युगल खिताब अर्जित किए हैं। आइए इस स्पर्धा में हरी-भरी घास पर भारतीय टेनिस को लहलहाने वाले खिलाड़ियों पर एक नजर डालें-

रामनाथन कृष्णन : चेन्नई (तब मद्रास) के रामनाथन कृष्णन 1953 में विम्बल्डन के जूनियर फाइनल में हारे, लेकिन उन्होंने अगले ही वर्ष ऑस्ट्रेलिया के एश्ले कूपर को हराकर खिताब अर्जित किया। वे विम्बल्डन में कोई खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बने। रामनाथन ने इसके बाद सीनियर वर्ग में भी दो बार (1960 तथा 1961) सेमीफाइनल तक का सफर तय किया।

विजय अमृतराज : विजय भले ही विम्बल्डन में कभी खिताब नहीं जीत पाए, लेकिन वे 1970 से भारतीय टेनिस की पहचान बने हुए हैं। पहले खिलाड़ी तथा अब कमेंटेटर के रूप में वे आज भी ऑल इंग्लैंड क्लब में नजर आते हैं। ब्योर्न बोर्ग, जॉन मैकेनरो, जिमी कॉनर्स तथा इवान लेंडल जैसे अपने समय के दिग्गज खिलाड़ियों को पराजित कर चुके विजय इस स्पर्धा में 1973 तथा 1981 में क्वार्टर फाइनल तक पहुँचे थे।

रमेश कृष्णन : अपने पिता रामनाथन कृष्णन के नक्शेकदमों पर चलते हुए रमेश ने 1979 में अमेरिका के डॉन सिजलर को पराजित कर जूनियर विम्बल्डन खिताब जीता। 1985 में जूनियर वर्ग में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी रहे रमेश इसके अगले वर्ष विम्बल्डन के क्वार्टर फाइनल तक खेले।

लिएंडर पेस : विम्बल्डन में भारत के सबसे सफल खिलाड़ियों की सूची पर नजर दौड़ाई जाए तो लिएंडर पेस का नाम सबसे ऊपर नजर आता है। 1990 में जूनियर विम्बल्डन चैंपियन बनने के बाद उन्होंने सीनियर वर्ग में भी युगल तथा मिश्रित युगल में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कीं। पेस ने हमवतन महेश भूपति को साथ लेकर 1999 में पुरुष युगल खिताब जीता।

पेस-भूपति ने फाइनल में पॉल हारहुईस-जैरेड पामर को शिकस्त दी। यह भारत का सीनियर स्तर पर विम्बल्डन में पहला खिताब था। पेस यहीं पर नहीं रुके उन्होंने इसी वर्ष अमेरिका की लीसा रेमंड को साथ लेकर मिश्रित युगल खिताब अर्जित किया। पेस 2003 में महान खिलाड़ी मार्टिना नवरातिलोवा के साथ ऑल इंग्लैंड क्लब पर मिश्रित युगल खिताब भी जीत चुके हैं। ओलिम्पिक कांस्य पदक विजेता पेस ने एकल वर्ग में भी भाग्य आजमाया, लेकिन वे कभी भी दूसरे दौर से आगे नहीं बढ़ सके।

महेश भूपति : 1997 से विम्बल्डन में अपने अभियान की शुरुआत करने वाले महेश भूपति ने पेस के साथ मिलकर 1999 में पुरुष युगल खिताब जीता। इसके बाद भूपति ने 2002 में रूस की एलेना लिखोवत्सेवा के साथ मिलकर मिश्रित युगल खिताब अपनी झोली में डाला। अगले वर्ष भूपति तथा बेलारूस के मैक्स मिरनी उपविजेता बने। भूपति ने इसके बाद फ्रांस की मेरी पियर्स के साथ मिलकर 2005 में विम्बल्डन के मिश्रित युगल खिताब पर अधिकार जमाया।

सानिया मिर्जा : टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा सीनियर वर्ग में तो विम्बल्डन में प्रभाव नहीं छोड़ पाई हैं, लेकिन बालिका वर्ग में युगल खिताब खिताब जीतने का करिश्मा वे वर्ष 2003 में दिखा चुकी हैं। वर्तमान में दुनिया में 32वें क्रम की यह हैदराबादी खिलाड़ी अपने चार प्रयासों में तीन बार दूसरे तथा एक बार पहले ही दौर में परास्त हुई। सानिया ने मात्र 16 वर्ष की आयु में एलिस क्लेबानोवा के साथ मिलकर जूनियर बालिका विम्बल्डन युगल खिताब हासिल किया था। उन्हें जूनियर ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला होने का श्रेय हासिल है।

भारत के कुछ विशिष्ट पहलू
1877 में विम्बल्डन की शुरुआत।
1905 में भारत के बी. नेहरू ने स्पर्धा में प्रवेश लिया, लेकिन वे खेले नहीं।

1908 में सरदार निहालसिंह को विम्बल्डन में खेलने वाले पहले भारतीय होने का गौरव मिला। वे 1908 तथा 1909 में पहले तथा 1910 में दूसरे दौर तक खेले।

1923 में भारत में जन्मे ब्रिटिश लेविस डीन यूके की शैफर्ड बैरॉन के साथ मिलकर मिश्रित युगल वर्ग में उपविजेता बने। इस प्रकार डीन भारत का प्रतिनिधित्व कर विम्बल्डन फाइनल में पहुँचने वाले पहले खिलाड़ी बने।

1925 में भारत में जन्मे सिडनी जैकब विम्बल्डन पुरुष एकल में पहुँचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी।

1928 में मोहम्मद सलीम ने विम्बल्डन प्लेट खिताब जीता (यह स्पर्धा विम्बल्डन के पहले व दूसरे दौर में हारने वाले खिलाड़ियों के लिए 1954 तक आयोजित की जाती थी।)

1939 में गौस मोहम्मद खान को क्वार्टर फाइनल में पहुँचने वाले पहले भारतीय मूल के खिलाड़ी होने का गौरव।

1950 में दिलीप बोस वरीयता सूची (15वीं वरीयता) में शामिल होने वाले पहले भारतीय।

1958 में प्रेमजीत लाल जूनियर वर्ग के फाइनल में पहुँचने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने।

1960 में जयदीप मुखर्जी जूनियर वर्ग में उपविजेता बने।
1962 में रामनाथन कृष्णन को चौथी वरीयता प्रदान की गई।
1974 विजय अमृतराज के छोटे भाई अशोक अमृतराज 1974 में जूनियर वर्ग में उपविजेता बने।

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