कोलकाता: कोविड-19 का कहर जब अपने चरम पर था तब कबाड़ का काम करने वाले राजकुमार जायसवाल का परिवार दिन में केवल एक समय का भोजन कर पा रहा था। उनकी दुकान बंद थी और जल्द ही उनका घर भी पानी में डूब गया क्योंकि चक्रवाती तूफान अम्फान ने बंगाल में तबाही मचा दी थी।
कोरोनावायरस और तूफान की यह दोहरी मार हालांकि उनकी बेटी अदिति के दृढ़ संकल्प को नहीं डिगा पाई जिन्होंने हाल में विश्व कप, विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों के लिए भारतीय तीरंदाजी टीम में जगह बनाई। इस बीच उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों के पूर्व स्वर्ण पदक विजेता राहुल बनर्जी का साथ भी मिला जो कि अब पूर्णकालिक कोच हैं।
बागुईआटी में कबाड़ी का काम करने वाले की बेटी अदिति मेधावी छात्रा रही है और उन्होंने आईएससी परीक्षा में 97 प्रतिशत अंक हासिल किए जिससे उन्हें सेंट जेवियर कॉलेज में अर्थशास्त्र ऑनर्स में प्रवेश मिल गया।
राजकुमार और उनकी पत्नी उमा चाहते थे कि अदिति भी अपने बड़े भाई आदर्श की तरह पढ़ाई पर ध्यान दें। उनके बड़े भाई वेल्लोर में इंजीनियरिंग कर रहे हैं।
तब बनर्जी ने उन्हें समझाया कि अदिति इससे भी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए पैदा हुई है।
सोनीपत में तीरंदाजी ट्रायल्स में भाग लेने के बाद वापस लौटी अदिति ने पीटीआई भाषा से कहा,एक समय था जबकि लॉकडाउन के दौरान मेरे पिताजी की दुकान लगभग दो साल तक बंद रही और हम किसी तरह से एक वक्त का भोजन ही जुटा पा रहे थे।
उन्होंने कहा,अम्फान के कारण हमारे घर में बाढ़ आ गई और हमें कई दिनों तक बिना बिजली के रहना पड़ा। किसी तरह से हम संघर्ष के इन दिनों से बाहर निकले और अब लगता है कि अच्छे दिन वापस आ गए हैं।
अदिति ने कहा, मेरे माता-पिता को अब विश्वास हो गया है कि तीरंदाजी में भी भविष्य है। उम्मीद है कि मैं अपने खेल में सुधार जारी रखूंगी। प्रत्येक खिलाड़ी का सपना होता है कि वह ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करे और पदक जीते लेकिन इसके लिए अभी मुझे लंबा रास्ता तय करना है।
यह पहला अवसर है जबकि इस 20 वर्षीय खिलाड़ी ने भारत की पहली पसंद की टीम में जगह बनाई। इससे पहले पिछले साल जम्मू में सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण और रजत पदक जीतने के कारण उन्हें कोलंबिया के मेडलिन में विश्वकप के चौथे चरण के लिए दूसरी पसंद की भारतीय टीम में चुना गया था।
मेडलिन में वह पहले दौर में ही बाहर हो गई। वहां व्यक्तिगत वर्ग में दीप्ति कुमारी से हार गई थी जबकि टीम स्पर्धा में उन्हें दूसरे दौर में कोरिया से हार का सामना करना पड़ा था।
अदिति को 2018-19 से कोचिंग देने वाले बनर्जी ने कहा, उसके माता-पिता का उस पर काफी दबाव था कि कब वह पदक जीतेगी ताकि उसे नौकरी आसानी से मिल जाए। मैं उनसे कहता रहा सब्र कीजिए आप रातों-रात विश्व चैंपियन नहीं बन सकते हैं।
अदिति की सबसे बड़ी परीक्षा दो चरण के ट्रायल्स थे जिनमें वह शीर्ष चार खिलाड़ियों में जगह बना कर भारतीय टीम में अपना स्थान पक्का करने में सफल रही।(भाषा)