काबुल:अफगानिस्तान में महिला फुटबॉल टीम की सदस्यों को तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए बार-बार अपना स्थान बदलना पड़ रहा है। हालांकि, उन्हें और उनके परिवार को वहां से निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास जारी हैं।
अफगान महिला टीम का गठन 2007 में किया गया था।जहां खेल खेलने वाली महिलाओं को तालिबान के खिलाफ राजनीतिक विरोध के रूप में देखा जाता था।
तालिबान के कब्जे के बाद महिलाओं के लिए स्थिती ज्यादा खराब नजर आ रही है। तालिबान का आदेश है कि महिलाएं बुर्के में रहेगी और महिलाओं पर हुए वीभत्स अत्याचार के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। ऐसे में सिर्फ महिला फुटबॉल टीम ही नहीं ज्यादातर महिलाएं अफगानिस्तान छोड़ कर जाना चाहती हैं।
अफगान राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की इन सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों तथा फुटबॉल फेडरेशन के कर्मचारियों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को पिछले सप्ताह तब गहरा झटका लगा था जब काबुल हवाई अड्डे पर एक आत्मघाती हमला हुआ जिसमें 13 अमेरिकी सैनिक और 169 अफगान नागरिक मारे गए थे। अब इन लोगों को इस बात की चिंता है कि क्या वे लोग अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकल पाएंगे?
अमेरिकी कांग्रेस के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ तथा तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस के अधिकारी के पद पर सेवाएं दे चुके रॉबर्ट मैकक्रेरी ने बताया कि वे अविश्वसनीय युवा महिलाएं हैं जिन्हें खेल के मैदान पर होना चाहिए था, लेकिन इस खेल के कारण ही वह एक बेहद बुरी स्थिति में हैं। उन्होंने कहा, हमें उन्हें बचाने, वहां से सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
कनाडा में रहने वाली अफगानिस्तान महिला राष्ट्रीय टीम की कप्तान फरखुंडा मुहताज ने कहा लेकिन 14 से 16 वर्षीय लड़कियों और उनके परिवार को अब भी तालिबान निशाना बना सकता है। सिर्फ इसलिए नहीं कि तालिबान के शासन में महिलाओं तथा लड़कियों को खेल खेलने से मना किया जाता है, बल्कि इसलिए भी कि वे लड़कियों के अधिकारों की पैरोकार और उनके समुदायों की सक्रिय सदस्य थीं।
मुहताज लगातार उन लड़कियों के सम्पर्क में है और उनसे संयम रखने को कहती हैं। उन्होंने कहा, वे परेशान हैं। जिस स्थिति में वे हैं उससे वे नाउम्मीद हैं।
मैकक्रेरी ने कहा कि मिशन ऑपरेशन सॉकर बॉल्स अन्य देशों के साथ मिलकर इस उम्मीद में जारी है, कि लड़कियों को सुरक्षित अमेरिका लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और कतर ने मदद करने की इच्छा जाहिर की है।
उन्होंने साथ ही तालिबान से भी समूह को बाहर निकलने की राह आसान करने की अपील की, जिससे सद्भावना उत्पन्न होगी।
कुछ महिला खिलाड़ी पिछले हफ्ते पहुंची थी ऑस्ट्रेलिया
अफगानिस्तान की महिला राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम की कुछ खिलाड़ी पिछले मंगलवार को 75 से अधिक यात्रियों को ले जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई उड़ान में सवार हुईं थी।
ग्लोबल सॉकर प्लेयर्स यूनियन FIFPRO ने एक बयान में कहा था कि, "ये युवा एथलीट और एक्टिविस्ट महिलाएं खतरे की स्थिति में थी और दुनिया भर में उनके साथियों की ओर से हम उनकी सहायता के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धन्यवाद देते हैं।"
टीम के सदस्यों को सलाह दी गई थी कि किसी भी प्रतिशोध से बचने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट और अपनी तस्वीरें फेसबुक या ट्विटर से हटा दें। पूर्व महिला फुटबॉल कप्तान, खालिदा पोपल ने इस वाक्ये को एक "महत्वपूर्ण जीत" बताया।