कैंसर ने पैर छीने, जज्बे से लिखा जीत का इतिहास...

Webdunia
गुरुवार, 16 मार्च 2017 (18:18 IST)
पंजाब के लुधियाना शहर के बाशिंदे आनंद 'आर्नोल्ड' हॉलीवुड के स्टार आर्नोल्ड की तरह उछलकूद तो नहीं करते लेकिन उन्होंने आज तक जो भी किया है, उसे देश का सलाम है। कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी ने आनंद के भले ही पैर छीन लिए और उन्हें व्हीलचेयर पर ला पटका लेकिन उनके जज्बे ने जीत का एक नया इतिहास लिख डाला। देश के वे पहले व्हीलचेयर बॉडीबिल्डर हैं, जिन्होंने 40 पुरस्कार जीते हैं। 
 
28 बरस के आनंद 12 मर्तबा मिस्टर पंजाब और तीन मर्तबा '‍मिस्टर इंडिया' बनने में कामयाब हुए। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी इस दिव्यांग ने फिल्म में अभिनय तक करके अपना लोहा मनवा लिया है। डिस्कवरी के 'हिस्ट्री' चैनल ने भारत के इस प्रतिभाशाली बॉडी बिल्डर को कवर किया है। 
लुधियाना में 11 नवम्बर 1986 को आनंद ने इस खूबसूरत दुनिया में जब अपनी आंखे खोली तो वह तंदरुस्त बालक था लेकिन वक्त गुजरने के साथ ही कैंसर जैसे  भयानक रोग ने जकड़ लिया था और तीन वर्ष तक उनका इलाज चला। इसके  बाद 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने बॉडीबिल्डिंग को अपना पैशन बनाया और देखते ही देखते उनकी मेहनत रंग लाने लगी। 
आनंद 60 किलोग्राम भार वर्ग के गैर-पेशेवर चैम्पियन हैं। एक समय पर डॉक्टरों ने कह दिया था कि वे ज्यादा समय तक जीवित  नहीं रहेंगे लेकिन उनकी अदम्य जिजीविषा ने कैंसर से पैदा हुए पक्षाघात पर भी जीत हासिल करने  में सफलता पाई। एक समय पर सिर से नीचे का पूरा शरीर पक्षाघात से बेकार हो गया था लेकिन  उन्होंने हार नहीं मानी और भारत के पहले ऐसे बॉडीबिल्डर बनने में सफलता पाई जोकि व्हीलचेयर  पर रहकर भी सक्षम शरीर वालों को शर्मिंदा करने में सक्षम है।
 
वे व्हीलचेयर पर एक सामान्य आदमी की तरह जीवन गुजारने में ही सक्षम नहीं हुए वरन उन्होंने एक तेलुगू फिल्म में अभिनय किया है। उनकी कहानी से प्रेरणा पाकर उनके जीवन पर एक फिल्म भी बनाई जा रही है। आखिर उनका जीवन है ही इतना असाधारण। आखिर कौन ऐसा खिलाड़ी होगा जोकि न केवल कैंसर जैसी बीमारी को दो बार मात देने में सफल हो सका हो वरन यह भी सिद्ध किया कि असाधारण परिस्थितियां ही असाधारण लोगों को पैदा करती हैं। आनंद इस बात की जीती जागती मिसाल हैं।  (वेबदुनिया न्यूज) 
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