लड़कियों के पास 'किट' खरीदने तक के पैसे नहीं थे, एशियाड में भारत को दिलाए 2 पदक

Webdunia
मंगलवार, 28 अगस्त 2018 (21:14 IST)
जकार्ता। भारत के कुराश दल के सदस्यों के पास अपनी किट्स का भुगतान करने के लिए पैसा नहीं था लेकिन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद युवा पिंकी बलहारा और मालाप्रभा यलप्पा जाधव एशियाई खेलों में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीतने में सफल रही। 
 
 
पिंकी की कहानी बेहद दिलचस्प है। टीम को 20 दिन के अभ्यास शिविर के लिए उज्बेकिस्तान जाना था और इसके लिए उनके गांव वालों ने मदद की। उन्होंने कहा, ‘मुझे अभ्यास शिविर में भेजने के लिए मेरे गांव वालों ने 1.75 लाख रुपए जुटाए। मैं हमेशा उनकी ऋणी रहूंगी।’
 
पिंकी ने तीन महीने पहले ही अपने पिता को गंवाया था। उनके पिता दिल्ली जल बोर्ड में काम करते थे लेकिन उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 42 वर्ष के थे। पिंकी ने कहा, ‘मुझे उनके शब्द याद हैं। जब फरवरी में मेरा चयन हुआ तो उन्होंने कहा था कि तुम रजत जीतोगी स्वर्ण नहीं और आज ऐसा ही हुआ।’ 
 
मालाप्रभा यलप्पा जाधव बेलगांव के एक किसान की चार बेटियों में से एक हैं। उन्होंने भी यहां आने के लिए पैसे जुटाए। कुराश कुश्ती का एक प्रकार है, जिसमें खिलाड़ी प्रतिद्वंद्वी पर पकड़ने के लिए तौलिए का इस्तेमाल करता है और उसे नीचे गिराने की कोशिश करता है। इस खेल को पहली बार एशियाई खेलों में शामिल किया गया है। 
 
दिल्ली के नेब सराय गांव की पिंकी और बेलगांव की जाधव ने महिलाओं के 52 किग्रा भार वर्ग में पदक जीते। इस खेल को पहली बार एशियाई खेलों में शामिल किया गया है। 19 साल की पिंकी फाइनल में स्वर्ण पदक की दावेदार उज्बेकिस्तान की गुलनोर सुल्यामानोवा से 0-10 से हार गईं और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। 
 
पिंकी ने इससे पहले चीनी ताइपै की त्सोयू चिएवेन को अंतिम 16 के दौर में 5-0 से और क्वार्टर फाइनल में श्रीलंका कि सुसांति टेर्रे कुसुमावार्दानी को 3-0 से हराया था। उन्होंने सेमीफाइनल में उज्बेकिस्तान के अब्दुमाजिदोवा ओयसुलुव को 1-0 से पटखनी दी थी। इससे पहले दिन में यलप्पा सेमीफाइनल मुकाबले में सुल्यामानोवा से 10-0 से हार गईं थीं और उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था।
 
इन लड़कियों का यह प्रदर्शन उल्लेखनीय है क्योंकि एशियाई खेलों में टीम की भागीदारी पर ही सवाल उठाए जा रहे थे तथा भारतीय ओलंपिक संघ ने उनकी किट का भुगतान करने से इनकार कर दिया था क्योंकि वे भारतीय कुराश संघ से जुड़े हैं, जिसे भारत में मान्यता हासिल नहीं है। कुराश संघ को खेल मंत्रालय से मान्यता हासिल नहीं है लेकिन आज के परिणाम के बाद जल्द ही उसे मान्यता मिल सकती है।
 
संघ के सचिव रवि कपूर ने कहा, ‘खेल मंत्री (राज्यवर्धन सिंह राठौड़) आज सुबह हमसे मिले और उन्होंने जल्द ही हमें मान्यता देने का वादा किया है।’ कुराश खेल से जुड़े अधिकतर सदस्य जूडो खेलते थे। टीम के अधिकतर सदस्य 35 हजार रुपए की किट नहीं खरीद सकते थे लेकिन उन्होंने जर्सी और ट्रैक सूट खरीदने के लिए पैसे जुटा दिए। राठौड़ हालांकि आश्वासन दे चुके हैं कि गैर मान्यता प्राप्त खेलों के खर्चों को मंत्रालय उठाएगा। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

चैंपियन्स टीम इंडिया ने बिना एक टॉस जीते चैंपियन्स ट्रॉफी के सारे मैच जीते

Champions Trophy की सबसे सफल टीम बनी भारत, तीसरी बार झोली में किया खिताब

'मैं कहीं नहीं जा रहा', रोहित शर्मा ने ODI से संन्यास की अटकलों को किया खारिज (Video)

Champions Trophy: न्यूजीलैंड से 25 साल पुराना बदला किया चुकता और उस ही अंदाज में

मोटेरा के जख्मों पर दुबई में मरहम लगाकर राहुल ने बदली अपनी और टीम की तकदीर

अगला लेख