Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

94 साल की दादी, भगवानी देवी ने 3 मेडल जीतने के लिए रोज लगाई इतने ही किमी की दौड़

हमें फॉलो करें 94 साल की दादी, भगवानी देवी ने 3 मेडल जीतने के लिए रोज लगाई इतने ही किमी की दौड़
, रविवार, 17 जुलाई 2022 (14:33 IST)
नई दिल्ली: पिछले दिनों भारत की आधिकारिक जर्सी पहने एक वृद्ध महिला गले में ढेरों मेडल लटकाए अपने देश की धरती पर उतरीं तो लोगों ने ढोल नगाड़ों से उनका स्वागत किया और उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। ढोल की थाप पर बड़ी सादगी से परंपरागत हरियाणवी नृत्य करती यह महिला भगवानी देवी हैं, जिन्होंने दुनिया के खेल के नक्शे पर भारत के नाम की स्वर्णिम मोहर लगाई है।

यह बात हजारों बार कही सुनी जा चुकी है कि कुछ भी हासिल करने के लिए उम्र कभी बाधा नहीं होती, लेकिन भगवानी देवी ने 94 साल की उम्र में जो कारनामा अंजाम दिया है उसे देखते हुए तो अब ‘‘वृद्ध’’ शब्द की परिभाषा ही बदल देनी होगी।

 वह इस उम्र में भी जवानों से ज्यादा जवान हैं और फिनलैंड वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप से तीन मेडल लेकर लौटी हैं। उन्होंने 100 मीटर दौड़ में ही नहीं बल्कि गोला फेंक और भाला फेंक में भी शानदार प्रदर्शन किया। 100 मीटर की दौड़ में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया, जबकि बाकी दोनों स्पर्धाओं में वह कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहीं।

अपनी उपलब्धि से बेहद खुश भगवानी देवी बताती हैं कि उन्होंने अपने पोते को देखकर दौड़ में भाग लेने का फैसला किया।भगवानी देवी ने अपने पोते विकास डागर को देखकर खेलों की दुनिया में कदम रखा। उनके पोते विकास डागर अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट हैं और कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में शिरकत कर चुके हैं।

विकास ने बताया कि उनकी दादी अकसर उनके पदकों को बहुत ध्यान से देखती थीं और उनसे इस बारे में चर्चा भी किया करती थीं। विकास के अनुसार, दादी के रुझान को देखकर उन्होंने और उनके पिता ने उनके इस शौक को आगे बढ़ाने का फैसला किया तथा उन्हें दौड़ने का सामान्य प्रशिक्षण देना शुरू किया।

उन्होंने बताया कि उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें भारी या औपचारिक ट्रेनिंग देना संभव नहीं था क्योंकि इससे उन्हें चोट लगने का डर था। लिहाजा उन्हें हलकी-फुलकी कसरत और सही तरीके से दौड़ने के लिए प्रेरित किया गया। इसके अलावा गोला फेंक और भाला फेंक में भी उन्होंने अभ्यास करना शुरू किया।

भगवानी देवी बताती हैं कि वह वैसे भी खूब चलती थीं, लेकिन बात जब दौड़ने की और प्रशिक्षण की आई तो उन्होंने सुबह शाम दो से तीन किलोमीटर दौड़ लगाना शुरू किया और कसरत भी करने लगीं। वह बताती हैं कि दिनभर में वह चार मंजिला घर में दो-तीन बार सारी सीढ़ियां चढ़-उतर लेती हैं और अपने मोहल्ले के भी दो तीन चक्कर लगा आती हैं।

उनकी तैयारी को देखते हुए उन्हें दिल्ली स्टेट एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 100 मीटर दौड़, चक्का फेंक और भाला फेंक स्पर्धाओं में भाग लेने का मौका दिया गया और उन्होंने तीन स्वर्ण पदक जीतकर शानदार प्रदर्शन किया।

इसके बाद उन्होंने इस साल के शुरू में चेन्नई में आयोजित नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स स्पर्धा में शिरकत की और तीनों ही स्पर्धाओं में स्वर्णिम सफलता हासिल कर फिनलैंड में होने वाली विश्व मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया। वहां उन्होंने 90-95 वर्ष आयु वर्ग की प्रतियोगिता में अपने हमउम्र खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा की।

वहां भी यही कहानी दोहराई गई और हरियाणा की यह दादी देश के समाचार माध्यमों तथा सोशल मीडिया की स्टार बन गई।(भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कोहली की खिचाई पर भड़के अख्तर कहा, "70 शतक खाला के आंगन में नहीं बनाए"