'पुरस्कार' से पहले यहां प्रदर्शन करना पड़ता है : बिश्वेश्वर नंदी

Webdunia
शनिवार, 17 सितम्बर 2016 (16:54 IST)
भुवनेश्वर। स्टार जिम्नास्ट दीपा करमाकर के कोच बिश्वेश्वर नंदी ने इस धारणा को खारिज किया है कि पिछले महीने रियो ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करने वाली दीपा और अन्य खिलाड़ियों को प्रतियोगिता के बाद मिलने वाली वित्तीय सहायता अगर ब्राजील जाने से पहले मिलती तो बेहतर रहता।
 
नंदी ने दीपा और उनको यहां भारतीय खेल पत्रकार संघ के 39वें राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान सम्मानित किए जाने के बाद कहा कि यह भारत है। आपको यहां पहले प्रदर्शन करना होता है। आप लोग (मीडिया) भी उनके कुछ विशेष करने के बाद ही उनके बारे में लिखते हैं। 
 
नंदी ने यह प्रतिक्रिया कई पूर्व खिलाड़ियों के नजरिए के बाद दी थी जिसमें पूर्व हॉकी कप्तान दिलीप टिर्की भी शामिल थे जिन्होंने कहा था कि अगर ओलंपिक जैसी बड़ी प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए इस तरह की सहायता मिले तो खिलाड़ियों के लिए काफी मददगार रहेगा।
 
वॉल्ट फाइनल में कांस्य पदक से चूकने वालीं दीपा के अलावा रियो खेलों की पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु और पहलवान साक्षी मलिक को उनके प्रदर्शन के बाद नकद पुरस्कार दिए गए थे और साथ ही उन्हें महंगी कारें भी मिली थीं। दीपा ने भी इस दौरान युवावस्था के अपने दिनों से लेकर रियो में पदक से चूकने तक के सफर को याद किया। 
 
त्रिपुरा की इस जिम्नास्ट ने कहा कि मेरी जिम्नास्टिक में रुचि नहीं थी और मैं इसे नहीं समझती थी। मैं सर (नंदी) की बेहद आभारी हूं। वे मेरे लिए भगवान की तरह हैं। 2007 जूनियर नेशनल्स में मैंने 2 रजत पदक और टीम स्वर्ण पदक जीता और 2009 में भारतीय शिविर से जुड़ी, जहां मुझसे पूछा गया कि क्या मैं बांग्लादेश से हूं? 
 
उन्होंने कहा कि मेरी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता लंदन में थी। राष्ट्रमंडल खेल 2010 (दिल्ली) के दूसरे चयन ट्रॉयल में मैंने सभी सीनियर खिलाड़ियों को हराया लेकिन सर ने मुझे सिर्फ आगे के बारे में सोचने के लिए कहा। अगरतला में जन्मीं दीपा ने बताया कि 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में आशीष कुमार के कांस्य पदक ने उन्हें प्रेरित किया।
 
दीपा ने बताया कि उन्होंने रियो ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए पूरी जान लगा दी थी, साथ ही बताया कि उन्होंने कड़ी मेहनत की थी और ट्रेनिंग के दौरान 1,000 से अधिक बार प्रोडुनोवा वॉल्ट किया। (भाषा)
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

WTC Cycle में भारत का सबसे खराब प्रदर्शन, कुल 10 मैच भी नहीं जीत पाई टीम इंडिया

भारतीय टेस्ट टीम का भविष्य: बल्लेबाजी से ज्यादा चिंताजनक स्थिति गेंदबाजी की

रोहित शर्मा और रविंद्र जड़ेजा आखिरी बार टेस्ट क्रिकेट खेल चुके हैं

विराट कोहली का 'Ego' प्रॉब्लम? नहीं छोड़ पा रहे ऑफ स्टंप की गेंद, सचिन से सीख लेने का सही वक्त

अर्जुन पुरस्कार मेरा मजाक उड़ाने वालों को जवाब है: पैरा शटलर नित्या

अगला लेख