सनसनीखेज खुलासा : बलात्कार के डर से फुटबॉलर आपस में करती थीं सेक्स

Webdunia
शुक्रवार, 6 मई 2016 (18:55 IST)
नई दिल्ली। भारतीय महिला फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान सोना चौधरी ने जो सनसनीखेज खुलासा किया है, वो बेहद चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा कि महिला टीम की खिलाड़ी बलात्कार के डर से आपस में सेक्स करती थीं। सेक्स के बाद उनका अफेयर भी शुरू हो जाता।

सोना ने भारतीय महिला फुटबॉल टीम मैनेजमेंट, कोच और सचिव द्वारा टीम की महिला खिलाड़ियों के उत्पीड़न को लेकर यह खुलासे किए हैं। सोना ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अपनी किताब 'गेम इन गेम' लांच की है। इस पुस्तक का विमोचन पिछले दिनों ख्यात पाकिस्तानी गायक गुलाम अली ने किया था। 
 
सोना चौधरी ने अपनी किताब में खिलाड़ियों के साथ बदसलूकी की 90 फीसदी सच्ची घटनाएं लिखने का दावा किया है। उनका कहना है कि टीम के कोच व सचिव महिला फुटबॉल खिलाड़ियों को कई चीजों के लिए समझौता करने पर मजबूर करते थे। किताब में उन्होंने खुलासा किया है कि कोच द्वारा शोषण से बचने के लिए खिलाड़ी आपस में संबंध में बना लेती थीं।
 
सोना के अनुसार  'टीम मैनेजमेंट का कोई सदस्य रेप न कर दे, इस डर से खिलाड़ी आपस में समलैंगिक संबंध बना लेती थीं। कई महिला खिलाड़ियों की दोस्ती शारीरिक संबंध तक में बदल जाती थी। एक लड़की दूसरे लड़की को पसंद करने लगती थी।'
राज्य की टीम हो फिर राष्ट्रीय टीम हो या भारतीय टीम, कई लड़कियों को कई स्तर पर समझौता करने के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।
 
सोना चौधरी ने हरियाणा पुलिस की काफी प्रशंसा की है। उन्होंने बताया है कि हरियाणा पुलिस ने मुझे काफी समर्थन किया है और वे अपना ग्राउंड खेलने के लिए देते थे। सोना चौधरी मूलतः हरियाणा की रहनेवाली हैं। 1994 में करियर शुरू करने वालीं सोना हरियाणा की बेस्ट प्लेयर थीं।
 
हरियाणा में खिलाड़ियों के साथ होने वाली राजनीति से परेशान होकर 1995 में उत्तरप्रदेश में आकर बस गईं। 1995 में ही भारतीय महिला फुटबॉल टीम में खेलने का मौका मिला और इसके बाद वे महज एक साल बाद वे भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान बन गईं। उन्होंने 1996-97 तक कप्तानी संभाली। 
 
सोना को फुटबॉल से प्यार 1989 में स्कूलिंग के दौरान हुआ था। वो राइट बैक पोजिशन से खेलती थीं। 1998 में एशियन गेम्स के दौरान उन्हें घुटने और रीड़ की हड्‍डी में चोट लगी थी। उस चोट ने उनका फुटबॉल करियर खत्म कर दिया था। ऑपरेशन के बाद सोना 6 महीने तक बिस्तर पर ही रहीं। फुटबॉल के अलावा सोना ने एथलेटिक्स में भी हिस्सा लिया। 2002 में शादी के बाद वह वाराणसी आकर बस गईं।
 
सोना चौधरी खुद एक अच्छी लेखिका रहीं हैं और उन्हें लेखन के लिए जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पिछले साल सम्मानित भी कर चुके हैं। इससे पहले उन्होंने  दो उपन्यास लिखे थे। उनका पहला उपन्यास 'वी चित्र' प्रकाशित हुआ। इसके बाद उन्होंने 'पायदान' उपन्यास लिखा था। पायदान उपन्यास बाद में अंग्रेजी में रूपांतरित हुआ, जिसका नाम था 'शो स्टेप'।  इन दोनों ही उपन्यासों में उन्होंने स्त्री का शोषण किस तरह किया जाता है, इसका बेबाकी से चित्रण किया है। 

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