नई दिल्ली। एशियाई खेलों के लिए जा रहे भारतीय स्क्वैश खिलाड़ियों ने टीम में साइरस पोंचा और भुवनेश्वरी कुमारी की कोच के रूप में मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे सिर्फ प्रशासकों की भूमिका निभा सकते हैं।
एशियाई खेलों के लिए चुने गए आठ खिलाड़ी पूर्णकालिक कोच के बिना अभ्यास कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश कुमारी या पोंचा के साथ अभ्यास नहीं करते। सोलह बार की चैंपियन कुमारी की खिलाड़ी के तौर पर उपलब्धियां शानदार रही है लेकिन वह राष्ट्रीय टीम के कामकाज से जुड़ी नहीं है और सिर्फ एशियाई खेलों या राष्ट्रमंडल खेलों में ही टीम के साथ जाती है।
पोंचा भले ही कागजों पर कोच हों लेकिन वह मैनेजर का काम ही करते हैं। वह पिछले महीने चेन्नई में विश्व जूनियर चैंपियनशिप में टूर्नामेंट निदेशक थे। एक खिलाड़ी ने कहा कि मैचों के दौरान तकनीकी सलाह के लिए खिलाड़ी एक दूसरे पर भरोसा करते हैं।
खिलाड़ियों ने हालांकि फिजियो डिम्पल माथिवनन की नियुक्ति का स्वागत किया। खेल मंत्रालय ने पूरे स्क्वैश दल को सरकारी खर्च पर मंजूरी दी है। एक अन्य खिलाड़ी ने कहा कि हमारे पास पूर्णकालिक कोच नहीं है तो ज्यादा विकल्प भी नहीं है। उनकी भूमिका कोच की नहीं बल्कि प्रशासकों की है मसलन कोर्ट के बाहर के मसले और भारतीय ओलंपिक संघ के अधिकारियों के साथ संवाद।
पोंचा चेन्नई में रहते हैं जबकि कुमारी दिल्ली में अपनी अकादमी चलाती है। दोनों 2014 में भी एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में गए थे और इस साल गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में भी भारतीय दल का हिस्सा थे। खिलाड़ियों के सवालों को लेकर एसआरएफआई अधिकारियों से संपर्क नहीं हो सका।
पोंचा ने फोन का जवाब नहीं दिया और कुमारी ने कहा कि महासंघ ही कोचों के नाम की अनुशंसा करता है। उन्होंने कहा, आप उनसे पूछिये, मुझसे नहीं। मैं दिल्ली में अपनी अकादमी में व्यस्त हूं और बुलाए जाने पर देश के लिए सेवाएं दूंगी।
इस बीच विदेश में अभ्यास कर रहे खिलाड़ी सौरव घोषाल, जोशना चिनप्पा और दीपिका पल्लीकल चेन्नई लौट आए हैं। महिला टीम खुद अभ्यास कर रही है जबकि पुरूष टीम के लिए इंग्लैंड के डेक्लान जेम्स को बुलाया गया है।
भारतीय स्क्वैश टीम ने 2014 एशियाई खेलों में पुरूष टीम के स्वर्ण समेत चार पदक जीते थे। भारत स्क्वाश में मलेशिया के बाद दूसरे स्थान पर रहा था। (भाषा)